नभारत की चोटी की बैडमिंटन खिलाड़ी और पूर्व ओलंपिक कांस्य पदक विजेता साइना नेहवाल ने खुलासा किया है कि वह गठिया से जूझ रही हैं और उन्हें इस साल के अंत तक इस खेल में अपने भविष्य के बारे में फैसला करना होगा क्योंकि इस बीमारी के कारण उनके लिए सामान्य दिनों की तरह अभ्यास करना मुश्किल हो गया है।
विश्व की पूर्व नंबर एक खिलाड़ी 34 वर्षीय नेहवाल ने लंदन ओलंपिक 2012 में कांस्य पदक जीता था। तीन बार ओलंपिक खेलों में भाग लेने वाली नेहवाल ओलंपिक में पदक जीतने वाली पहली भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी बनी थी।
राष्ट्रमंडल खेल 2010 और 2018 की स्वर्ण पदक विजेता ने कहा कि वह अब इस तथ्य को नजरअंदाज नहीं कर सकती हैं कि उनका करियर अपने अंतिम चरण में है।
दिग्गज निशानेबाज और पेरिस ओलंपिक में भारतीय दल के नेता गगन नारंग के ‘हाउस ऑफ ग्लोरी’ पॉडकास्ट में नेहवाल ने कहा, ‘‘मेरे घुटने की स्थिति अच्छी नहीं है। मुझे गठिया है। मेरा कार्टिलेज खराब हो गया है। ऐसे में आठ-नौ घंटे तक खेल से जुड़े रहना बहुत मुश्किल है।’’
उन्होंने कहा,‘‘ऐसी स्थिति में आप दुनिया के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों को कैसे चुनौती देंगे। मुझे किसी न किसी स्तर पर इसे स्वीकार करना होगा क्योंकि शीर्ष खिलाड़ियों के खिलाफ अपेक्षित परिणाम हासिल करने के लिए दो घंटे का अभ्यास पर्याप्त नहीं है।’’
नेहवाल ने कहा कि वह अभी इस बात पर विचार कर रही हैं कि संन्यास लेने का उन पर क्या प्रभाव पड़ेगा, लेकिन उन्होंने स्वीकार किया कि आखिरकार उन्हें फैसला लेना होगा। वह भारतीय जनता पार्टी की सदस्य भी हैं। उन्होंने अंतिम टूर्नामेंट एक साल से भी अधिक समय पहले सिंगापुर ओपन के रूप में खेला था जिसमें वह शुरुआती दौर में हार कर बाहर हो गई थी।
उन्होंने कहा,‘‘मैं संन्यास लेने के बारे में सोच रही हूं। यह पीड़ा दायक होगा क्योंकि यह एक आम आदमी की तरह की जाने वाली नौकरी की तरह है। जाहिर है, एक खिलाड़ी का करियर हमेशा छोटा होता है। मैंने नौ साल की उम्र में शुरुआत की थी। अगले साल मैं 35 वर्ष की हो जाऊंगी।’’
नेहवाल ने कहा,‘‘मेरा कैरियर भी लंबा रहा है और इस पर मुझे गर्व है। मैंने जो कुछ हासिल किया उससे मैं खुश हूं। मैं इस साल के अंत तक आकलन करुंगी कि मैं कैसा महसूस कर रही हूं।’’’
पद्मश्री पुरस्कार विजेता ने कहा कि ओलंपिक में खेलना उनका बचपन का सपना था और लगातार दो ओलंपिक खेलों में भाग नहीं ले पाना दुखद रहा है।
नेहवाल ने कहा,‘‘ओलंपिक में खेलना हर किसी का बचपन का सपना होता है। आप उस स्तर तक पहुंचने के लिए वर्षों तक तैयारी करते हैं। इसलिए, कई बार जब आपको एहसास होता है कि आप इसे हासिल नहीं कर पाएंगे, तो बहुत दुख होता है।’’
उन्होंने कहा,‘‘मैंने बेहद कड़ी मेहनत की है। मैंने तीन ओलंपिक में भाग लिया। मैंने उन सभी में अपना शत प्रतिशत दिया। मैं इस पर गर्व कर सकती हूं और इससे खुश हो सकती हूं।