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आज भारतीय पैरालंपियन खिलाड़ी दीपा मलिक अपना 54वां जन्मदिन मना रही हैं। दीपा मलिक ने खेल जगत में अपना एक विशेष स्थान बनाया है। पैरालंपिक खेलों में मेडल जीतने वाली दीपा मलिक पहली महिला भारतीय हैं। हालांकि उन्होंने अपने जीवन में बहुत संघर्ष किया है, लेकिन उन्होंने कभी अपने हौसलों को कमजोर नहीं पड़ने दिया। दीपा खेल के अलावा सामाजिक और लेखन कार्य भी करती हैं। वर्तमान समय में दीपा मलिक हजारों-लाखों लोगों के लिए प्रेरणा हैं। तो आइए जानते हैं उनके जन्मदिन के मौके पर दीपा मलिक के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में…
जन्म और परिवार
हरियाणा के सोनीपत में 30 सितंबर 1970 में दीपा मलिक का जन्म हुआ था। इनके पिता का नाम बाल कृष्ण नागपाल, जोकि भारतीय सेना में थे। दीपा मलिक की जिंदगी में एक अहम मोड़ तब आया, जब साल 1999 में उनको स्पाइनल ट्यूमर हुआ। इसकी वजह से दीपा के शरीर के निचले हिस्से ने काम करना बंद कर दिया और उनको व्हीलचेयर पर निर्भर रहना पड़ा। हालांकि इस मुश्किल समय में भी उन्होंने हार नहीं मानी और अपने जीवन के नए अध्याय की शुरूआत करने पर फोकस किया।
खेल जगत में बनाया नाम
बता दें कि दीपा मलिक न सिर्फ खेलों में बल्कि सामाजिक और लेखन कार्य भी करती हैं। वहीं वह गंभीर बीमारियों से पीड़ित लोगों के लिए अभियान भी चलाती हैं। साथ ही सामाजिक संगठनों के कार्यक्रमों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेती हैं। दीपा मलिक शॉट पुटर के अलावा बाइकर, तैराक, भाला और डिस्कस थ्रोअर भी हैं। रियो पैरालंपिक खेलों में उन्होंने रजत पदक जीतकर वह पहली भारतीय महिला खिलाड़ी बनीं।
पुरस्कार
साल 2012 में दीपा मलिक को ‘अर्जुन पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया। उनका नाम भाला फेंक में एशियाई रिकॉर्ड में दर्ज है। जबकि साल 2011 में विश्व चैंपियनशिप में शॉटपुर और डिस्कर थ्रो में रजत पदक जीते थे। वहीं साल 2019 में दीपा मलिक को खेल रत्न से भी सम्मानित किया जा चुका है। पैरालिंपिक खेलों में पदक जीतने वाली दीपा मलिक पहली भारतीय महिला एथलीट हैं। वह ट्यूमर जैसी गंभीर बीमारी से जूझ रहे थीं और घर पर बिस्तर पर थीं। दीपा की स्पाइनल ट्यूमर की सर्जरी तब हुई थी, जब उनके पति कर्नल विक्रम सिंह कारगिल में देश के लिए लड़ रहे थे। इस दौरान दीपा की सर्जरी के दौरान उनको 183 टांके लगे थे।