डोप टेस्ट में नाकाम रहने के कारण 21 महीने का प्रतिबंध झेल रही भारतीय जिम्नास्टिक स्टार दीपा कर्माकर ने शनिवार को कहा कि मामला बिना किसी परेशानी के निपटाने के लिये उन्होंने अस्थायी निलंबन स्वीकार किया था।
कर्माकर ने यह भी कहा कि उन्होंने अनजाने में प्रतिबंधित पदार्थ हिजेनामाइन (एस3 बीटा2) का सेवन किया जो विश्व डोपिंग निरोधक एजेंसी की प्रतिबंधित सूची में है।
कर्माकर ने ट्वीट किया ,‘‘ मैने अनजाने में उसे लिया और मुझे पता नहीं कि उसका स्रोत क्या था। मैने अंतरराष्ट्रीय महासंघ के साथ मामला बिना किसी परेशानी के निपटाने के लिये अस्थायी निलंबन स्वीकार कर लिया।’’
कर्माकर के डोप नमूने आईटीए द्वारा प्रतिस्पर्धा से इतर लिये गए। आईटीए अंतरराष्ट्रीय जिम्नास्टिक महासंघ (एफआईजी) के डोपिंग निरोधक कार्यक्रम का जिम्मा संभालने वाली स्वतंत्र एजेंसी है।
कर्माकर का प्रतिबंध इस साल दस जुलाई को खत्म होगा क्योंकि उसके नमूने 11 अक्टूबर 2021 को लिये गए थे। रियो ओलंपिक 2016 में वॉल्ट में चौथे स्थान पर रही कर्माकर 2017 में सर्जरी के बाद से चोटों से जूझ रही है। उनका आखिरी टूर्नामेंट बाकू में 2019 विश्व कप था।
कर्माकर ने कहा कि डोपिंग मामला उसके जीवन की सबसे कठिन जंग थी।
उन्होंने कहा ,‘‘ मुझे नहीं पता कि वह मेरे शरीर में कैसे आया। यह मेरे जीवन की सबसे कठिन मानसिक लड़ाई थी। ऐसी लड़ाई जो किसी को भी तोड़ सकती है।’’
उन्होंने कहा ,‘‘ मैने 2017 और 2019 में सर्जरी कराई और मैदान पर लौटने के बाद फिर एक और झटका लगा। मैं अब मजबूती से वापसी कराना चाहती हूं।’’
आईटीए के अनुसार यह मामला एफआईजी डोपिंग निरोधक नियमों की धारा 10 .8 .2 के तहत आपसी सहमति के आधार पर हल किया गया जिसमें खिलाड़ी या अन्य व्यक्ति स्वीकार कर ले कि उसने डोपिंग निरोधक नियम तोड़ा है और एफआईजी तथा वाडा द्वारा दी गई सजा स्वीकार कर ले तो मामला वहीं सुलझ जाता है।
कर्माकर ने खुशी जताई कि मामला सहमति से सुलझ गया है और अब वह जुलाई में वापसी करेगी।
उन्होंने कहा ,‘‘ यह मेरे जीवन की सबसे कठिन लड़ाई का अंत था। मेरा निलंबन तीन महीने कम कर दिया गया और ढाई महीने पीछे से गिना जायेगा। मैं वापसी के लिये बेकरार हूं।’’
उन्होंने कहा ,‘‘ मैने अपने कैरियर में कभी भी प्रतिबंधित दवा के सेवन के बारे में सोचा भी नहीं। मैं कभी ऐसा कुछ नहीं करूंगी जिससे मेरा या देश का नाम खराब हो।’’
कर्माकर के कोच बिशेश्वर नंदी ने दावा किया कि उसने अपने नमूने आगे जांच के लिये जर्मनी में वाडा द्वारा मान्यता प्राप्त लेबोरेटरी में भेजे थे लेकिन उसमें प्रतिबंधित दवा नहीं मिली।
उन्होंने कहा ,‘‘ अगर उसने ऐसी कोई दवा ली होती तो चार साल का प्रतिबंध लगता। पता नहीं उसके शरीर में यह कैसे आई और वाडा भी इसे समझता है। हम जानना चाहते थे तो वाडा को पत्र लिखा और सारी दवाओं और पदार्थों की जर्मनी में जांच कराई गई लेकिन कुछ नहीं मिला।’’
कोच ने यह भी कहा कि टूर्नामेंट के फाइनल में पहुंचने में सक्षम होने पर ही वह वापसी करेगी।
उन्होंने कहा ,‘‘ पूरी फिटनेस हासिल करने में 18 से 19 महीने लगते हैं। वह सिर्फ भाग लेने के लिये किसी प्रतियोगिता में नहीं उतरेगी। फाइनल में पहुंचने की स्थिति में होने पर ही खेलेगी और बतौर कोच यह मेरे लिये चुनौती है।’’
कर्माकर और उनके कोच बिशेश्वर नंदी ने उस समय डोप निलंबन के बारे में चुप्पी साधे रखी। भारतीय जिम्नास्टिक महासंघ के अध्यक्ष सुधीर मित्तल ने भी कहा था कि उन्हें इस संबंध में एफआईजी से कोई सूचना नहीं मिली है। अधिकारियों ने यह तक कहा था कि उसे अनुशासन कारणों से निलंबित किया गया है, डोपिंग की वजह से नहीं।