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कोन्शाम चिंगलेनसाना सिंह और थान्गकोसेम सेम्बोई हाओकिप दो ऐसे खिलाड़ी है जो फुटबॉल में भारत का प्रतिनिधित्व कर चुके है। दोनों खिलाड़ियों का भविष्य अब खतरे में आ गया है, जिससे देश में फुटबॉल के क्षेत्र में दो शानदार खिलाड़ियों की कमी हो सकती है। वहीं दोनों खिलाड़ियों के भविष्य पर आए खतरे का कारण मणिपुर में हुई हिंसा को बताया जा रहा है। मणिपुर में हिंसा की शुरुआत हुए एक सप्ताह से अधिक का समय बीत चुका है मगर राज्य में शांति अब तक बहाल नहीं हुई है।
जानकारी के मुताबिक कोन्शाम चिंगलेनसाना सिंह मुख्य रूप से मेतेई समुदाय से संबंध रखते है। मेतेई समुदाय के लोग आमतौर पर कुकी क्षेत्र में रहते है। वहीं भारत के लिए खेल चुके थान्गकोसेम सेम्बोई हाओकिप कुकी समुदाय से आते है। ये मेतेई बाहुल्य इलाके में रहते है। मगर बीते सप्ताह मणिपुर में हुई हिंसा के कारण दोनों खिलाड़ी अपना घर छोड़ने को मजबूर हुए थे। इसके बाद दोनों ही किराए के घर में रहने को मजबूर थे।
बता दें कि इनमें से एक खिलाड़ी कोन्शाम चिंगलेनसाना सिंह इंडियन सुपर लीग में हैदराबाद एफसी का खिलाड़ी है। उन्हें नेशनल कैंप में 15 मई को हिस्सा लेने के लिए पहुंचना था मगर हिंसा के कारण वो घर पर ही रुके हुए है। हालांकि इसकी जानकारी कोन्शाम चिंगलेनसाना सिंह अपने फेडरेशन को दे चुके है। फेडरेशन के अनुसार कोन्शाम चिंगलेनसाना सिंह ने अपने कोट इगोर स्टिमैक को बताया है कि वो हिंसा के कारण घर से नहीं आ सके है। उन्होंने ये भी उम्मीद जताई है कि वो जल्द ही अपनी टीम के साथ जुड़ेंगे ताकि टीम के साथ प्रैक्टिस कर सके।
ऐसे हुई थी मणिपुर हिंसा
मणिपुर में भड़की हिंसा की वजह से अब तक 60 लोगों की जान जा चुकी है। इसके अलावा कई घायल बताए जा रहे हैं। मणिपुर में अब जनजीवन सामान्य होता दिखाई दे रहा है। लेकिन 3 मई और 4 मई को वहां स्थिति काफी गंभीर बनी हुई थी। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह लगातार मणिपुर घटना को लेकर निगरानी कर रहे थे। धीरे-धीरे वहां कर्फ्यू में ढील दी जा रही है। साथ ही साथ हिंसा प्रभावित लोगों की हर संभव मदद की कोशिश की जा रही है। इन सबके बीच मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने आज बड़ी बात कही है। उन्होंने कहा कि हिंसा भड़काने वाले व्यक्ति व समूह का पता लगाने के लिए जल्द से जल्द एक उच्च स्तरीय जांच की जाएगी।