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Dutee Chand Birthday: जूतों को गहना बनाकर दुती चंद ने छू लिया पूरा आसमां, आज मना रही 29वां जन्मदिन

खेल की दुनिया में कई ऐसे शख्सियत हैं, जिन्होंने अपने करियर में खूब ऊंचाइयों को छुआ है। ऐसी ही एक नाम महिला भारतीय धाविका दुती चंद है। महिलाओं के ट्रैक और फील्ड इवेंट्स में दुती चंद गोल्ड मेडल जीतने वाली पहली महिला हैं। इस खिलाड़ी पर पूरे देश को भी नाज है। आज ही के दिन यानी की 03 जनवरी को दुती चंद अपना 29वां जन्मदिन मना रही हैं। वह भारत की पहली एथलीट हैं, जिनके समलैंगिक होने की जानकारी सभी को है। उन्होंने जिस तरह से अपने करियर में ऊंचाई हासिल की, उसी तरह उनको तमाम मुश्किलों का सामना करना पड़ा। तो आइए जानते हैं उनके जन्मदिन के मौके पर भारतीय एथलीट दुती चंद के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में…
जन्म और परिवार
ओड़िशा के जाजपुर जिले में 03 फरवरी 1996 को दुती चंद का जन्म हुआ था। इनके पिता का नाम चक्रधर चंद और मां का नाम अखूजी है। दुती चंद का जन्म बेहद साधारण परिवार में हुआ था और इन्होंने अपना बचपन काफी गरीबी में बिताया है। बुनकर परिवार में जन्मी दुती चंद को धाविका बनने की प्रेरणा बड़ी बहन सरस्वती से मिली। वह राज्य स्तर की धाविका रह चुकी हैं। दुती लगातार ट्रेनिंग करती थीं और कड़ी मेहनत करती थीं। वह अपने गांव की कच्ची सड़कों पर जॉगिंग किया करती थीं।
जूतों को बनाया गहना
बता दें कि साल 2005 में जब दुती चंद के लिए सफेद चमचमाते स्नीकर आए थे। तब दुती घंटों तक उन जूतों को हाथ में लेकर निहारती रहीं कि भला वह इतने अच्छे जूतों को पैर में कैसे पहनें। जूते कीचड़ से खराब हो जाएंगे, क्योंकि वह जूते दुती चंद के लिए कांच के एक कीमती खिलौने की तरह थे। लेकिन जब वह इन जूतों को पहनकर दौड़ीं तो क्या खूब दौड़ी। 
झील के किनारे दौड़ की प्रैक्टिस करने वाली साल 2012 में उस दौरान चर्चा में आईं, जब उन्होंने 100 मीटर स्पर्धा में अंडर-18 वर्ग में राष्ट्रीय चैंपियन बनीं। फिर साल 2013 में दुती चंद ने वर्ल्ड यूथ चैंपियनशिप, एशियाई एथलेटिक्स चैंपियनशिप और रांची में हुए नेशनल सीनियर एथलेटिक्स चैंपियनशिप अद्भुत प्रतिभा दिखाई।
फिर साल 2019 में दुती को अपने करियर में सबसे बड़ी उपलब्धि मिली। दरअसल, इटली के नेपल्स में हुए वर्ल्ड यूनिवर्सियाड में 100 मीटर इवेंट में दुती चंद ने गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास रच दिया। ऐसा करने वाली वह पहली भारतीय महिला एथलीट बनीं। उनके द्वारा महिला 100 मीटर दौड़ में बनाया गया नेशनल रिकॉर्ड आज भी नहीं टूटा है। साल 2016 के रियो ओलंपिक का टिकट प्राप्त कर वह महिलाओं के 100 मीटर में हिस्सा लेने वाली देश की 5वीं महिला एथलीट बनीं।
फिर साल 2018 में दुती ने जकार्ता में हुए एशियाई खेलों में दो पदक हासिल किए। इसमें से महिलाओं के 100 मीटर फाइनल में रजत पदक मिला। यह पदक भारत को पीटी उषा के दो दशक बाद किसी ने दिलाया था। महिलाओं के 200 मीटर के फाइनल में जीत हासिल कर दुती चंद 16 साल बाद गोल्ड मेडल जीतने वाली भारतीय थीं।
दुती से जुड़ा विवाद
साल 2014 में दुती चंद कॉमनवेल्थ गेम्स की तैयारी कर रही थीं। उस दौरान आखिरी समय एएफआई उनको अयोग्य करार कर दिया। हाइपरएंड्रोजेनिज़्म की वजह से दुती चंद पर महिला एथलीट के तौर पर किसी भी इवेंट में भाग लेने पर रोक लगा दी गई थी। लेकिन लंबी लड़ाई लड़ने के बाद साल 2015 में कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन फॉर स्पोर्ट में अपील के बाद दुती चंद पर लगे प्रतिबंध को हटाने का फैसला लिया गया।

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