भारत के स्टार रेसलर साक्षी मलिक ने एशियन गेम्स में हिस्सा लेने से इनकार कर दिया है। उन्होंने साफ तौर पर कहा है कि वह बिना ट्रायल के किसी भी टूर्नामेंट में भाग नहीं लेना चाहती हैं। उनका यह बयान ऐसे समय में आया है जब विनेश फोगाट और बजरंग पूनिया को सीधे एशियन गेम्स के लिए भेजा गया। इसी के बाद से लगातार सवाल उठ रहे हैं। हालांकि, आज साक्षी मलिक ने पूरे मामले पर अपनी चुप्पी तोड़ी है। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि मैं बिना ट्रायल के किसी भी टूर्नामेंट में भाग नहीं रहना चाहती। साथ ही साथ उन्होंने सरकार पर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने कहा कि सरकार ने एशियन गेम्स में सीधे नाम भेजकर पहलवानों की एकता को तोड़ने का काम किया है।
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पहलवान साक्षी मलिक ने कहा कि हमने एडहॉक कमेटी से समय मांगा था ताकि हमारा ट्रायल 10 अगस्त के बाद कराया जाए क्योंकि हम ट्रेनिंग करने में असमर्थ थे। तदनुसार, उन्होंने हमें समय देते हुए एक पत्र भेजा। यही वजह है कि हम ट्रेनिंग के लिए बाहर आये।’ हालाँकि, मुझे सरकार से फोन आया कि वे एशियाई खेलों के लिए सीधे उन दोनों (बजरंग पुनिया और विनेश फोगाट) का नाम भेज रहे हैं और मुझसे एक मेल भेजने के लिए कहा ताकि मेरा नाम भी भेजा जा सके। साक्षी मलिक ने कहा कि मैंने मना कर दिया क्योंकि मैं सीधे प्रवेश नहीं चाहता था। मैं ट्रायल के बिना न तो किसी टूर्नामेंट में गई हूं और न ही भविष्य में कभी ऐसा करूंगी। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि कुश्ती में हमारी आपस में लड़ाई कराने जैसी यह जो नीति बनी है मैं उसके खिलाफ हूं। उन्होंने अपने ट्वीट में कहा कि सरकार ने एशियन गेम्स में सीधे नाम भेजकर पहलवानों की एकता को तोड़ने का काम किया है। मैं न कभी बिना ट्रायल खेलने गई हूँ और न ही इसका समर्थन करती हूँ। सरकार की इस मंशा से विचलित हूँ। हमने ट्रायल्स की डेट आगे बढ़वाने की बात कही थी लेकिन सरकार ने हमारी झोली में यह बदनामी डाल दी है।
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दिल्ली उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) का संचालन करने वाली तदर्थ समिति से पहलवान विनेश फोगाट और बजरंग पुनिया को एशियाई खेलों के ट्रायल से छूट देने का आधार बताने को कहा। न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद ने फोगाट और पुनिया को सीधे प्रवेश के खिलाफ अंडर-20 विश्व चैंपियन अंतिम पंघाल और अंडर-23 एशियाई चैंपियन सुजीत कलकल की याचिका पर सुनवाई करते हुए खेल निकाय को दिन के दौरान अपना जवाब दाखिल करने के लिए कहा। न्यायाधीश ने मामले को शुक्रवार को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करते हुए कहा, ‘‘अगर यह (चयन का आधार) उचित और निष्पक्ष तरीका है, तो मामला यहीं खत्म हो जाता है।’’