Breaking News
-
भारत और इंग्लैंड के बीच नागपुर में पहला वनडे खेला गया, जिसे टीम इंडिया ने…
-
पाकिस्तानी अदालत ने प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और उनके बेटे हमजा शहबाज को आठ साल पुराने…
-
डोनाल्ड ट्रंप ने व्हाइट हाउस में कदम रखते ही टैरिफ वॉर छेड़ दी है। अमेरिका…
-
कांग्रेस ने राज्यसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण की आलोचना करते हुए कहा कि…
-
अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो दक्षिण अफ्रीका में आगामी जी20 बैठक में शामिल नहीं होंगे।…
-
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत के संगठनात्मक कार्य के लिए 10 दिवसीय दौरे…
-
पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने साइबर सेक्सटॉर्शन मामले में आरोपी एक महिला को नियमित…
-
भारत और इंग्लैंड के बीच पहले वनडे मैच में टीम इंडिया के स्टार ऑलराउंडर रविंद्र…
-
जेवर विधानसभा में एक और गौशाला बनेगी, निराश्रित गौवंशों से निजात मिलेगी, ग्राम धनौरी में…
-
वाईएसआर कांग्रेस पार्टी (वाईएसआरसीपी) के प्रमुख और आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी…
नयी दिल्ली । खेलमंत्री मनसुख मांडविया ने जिम्नास्ट दीपा कर्माकर को पत्र लिखकर खेल से संन्यास लेने के उनके फैसले पर हैरानी जताई। ओलंपिक के लिये क्वालीफाई करने वाली पहली भारतीय महिला जिम्नास्ट बनी दीपा रियो ओलंपिक 2016 में चौथे स्थान पर रही थी। उन्होंने सोमवार को खेल को अलविदा कह दिया। मांडविया ने दीपा को लिखे पत्र में कहा ,‘‘ मुझे पता चला कि आपने जिम्नास्टिक से संन्यास ले लिया है। आपके फैसले पर मैं आश्चर्यचकित हूं लेकिन मुझे पूर्ण विश्वास है कि आपने जीवन की महत्वपूर्ण प्राथमिकताओं और अनुभवों को ध्यान में रखते हुए यह फैसला लिया होगा। मैं आपके इस निर्णय का पूर्ण सम्मान करता हूं।’’
उन्होंने कहा ,‘‘ आपकी जिम्नास्टिक की यात्रा जो मात्र छह वर्ष की आयु से प्रारंभ हुई , अत्यंत ही प्रेरणादायक रही। आपने इस खेल में अनेक कठिनाइयों का सामना करते हुए सफलता के उच्च शिखरों को छुआ और देश को गौरवान्वित किया। मेजर ध्यानचंद खेल रत्न और पद्मश्री जैसे प्रतिष्ठित पुरस्कार से सम्मानित होना आपके अद्वितीय योगदान का प्रमाण है।’’
खेल मंत्री ने आगे लिखा ,‘‘ आपका ओलंपिक में हिस्सा लेकर भारतीय जिम्नास्टिक्स में एक नया अध्याय जोड़ना और इस खेल में भाग लेने वाली प्रथम भारतीय महिला बनना न केवल आपके व्यक्तिगत परिश्रम का परिणाम बल्कि पूरे देश के लिये गर्व का विषय है। विशेष रूप से प्रोडुनोवा वॉल्ट में आपका प्रदर्शन अद्वितीय रहा है। आपकी उपलब्धियों ने न केवल खेलप्रेमियों को प्रेरित किया है बल्कि विशेष रूप से हमारी बेटियों को भी खेलों में अपने सपनों को साकार करने का साहस प्रदान किया है।’’ उन्होंने कहा ,‘‘ ओलंपिक के वह ऐतिहासिक क्षण जब आप मात्र 0.15 अंकों से पदक से चूक गई , फिर भी आपने अपने धैर्य और समर्पण से पूरे राष्ट्र का दिल जीत लिया।’’ मांडविया ने लिखा ,‘‘ आपकी यह यात्रा देश के लिये अनमोल धरोहर है और मैं आशा करता हूं कि आप अपनी इस अद्वितीय प्रतिभा और अनुभव को आने वाली पीढी के साथ साझा करेंगी।