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भारत में रूढ़िवादी सोच के कारण हर साल कितनी ही बेटियों को जन्म लेने से पहले ही मार दिया जाता है। यह उसी भारत में होता है, जहां पर बेटियों को शक्ति व देवी स्वरूप माना जाता है। लेकिन समाज की मानसिकता हमेशा बेटे और बेटी में फर्क करती रही। क्योंकि बेटा वंश को आगे बढ़ाने का काम करता है। लेकिन वर्तमान समय में बेटियां हर क्षेत्र में कदम से कदम मिलाकर चल रही हैं। ऐसी ही कहानी है भारत की चैंपियन बैडमिंटन खिलाड़ी साइना नेहवाल की। आज यानी की 17 मार्च को साइना नेहवाल अपना 34वां जन्मदिन मना रही हैं। आइए जानते हैं उनके जन्मदिन के मौके पर साइना नेहवाल के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में…
जन्म और शिक्षा
हरियाणा के हिसार जिले में 17 मार्च 1990 में साइना नेहवाल का जन्म हुआ था। बताया जाता है कि साइना के जन्म के बाद उनकी दादी ने करीब एक महीने तक उनका चेहरा नहीं देखा था। क्योंकि दादी को बेटा चाहिए था। लेकिन साइना की मां उषा नेहवाल ने उनका हमेशा साथ दिया। परिवार और समाज के तानों को अनसुना कर साइना की मां ने अपने बेटी को चैंपियन बनाने में मदद की। इस बात की बहुत कम लोगों को जानकारी है कि साइना की मां उषा नेहवाल भी बैडमिंटन प्लेयर थी। हांलाकि उषा नेहवाल ने राज्य स्तर पर बैडमिंटन खेला था।
8 साल में थामा बैडमिंटन का रैकेट
शुरूआत में साइना जूडो-कराटे में अपना करियर बनाना चाहती थीं। लेकिन बाद में 8 साल की उम्र में साइना ने अपनी मां के नक्शे-कदम पर चलते हुए बैडमिंटन का रॉकेट थाम लिया था। शुरूआत में हिसार में ट्रेनिंग लेने के बाद साइना ने अपने हैदराबाद के लाल बहादुर स्टेडियम में ट्रेनिंग लेने से शुरू की थी। वहीं कोच नानी प्रसाद की देखरेख में वह बेहद कम समय में सफलता की ऊंचाइयों को छूने लगीं।
भारत की पहली महिला खिलाड़ी
साल 2009 में इंडोनेशिया ओपन सुपर सीरीज बैडमिंटन टूर्नामेंट का खिताब जीतकर साइना नेहवाल ने एक बड़ी उपलब्धि हासिल की थी। बता दें कि यह खिताब अपने नाम करने वाली साइना देश की पहली महिला खिलाड़ी बनी थीं। वहीं साल 2012 में लंदन ओलिंपिक में भी साइना ने देश का सिर गर्व से ऊंचा किया। दरअसल, महिला के सिंगल्स इवेंट में साइना ने ब्रॉन्ज मेडल जीतकर सनसनी मचा दी थी। ओलंपिक में मेडल जीतने वाली साइना नेहवाल पहली महिला बैडमिंटन खिलाड़ी बनीं।
कॉमनवेल्थ गेम्स में भी लहराया परचम
साइना नेहवाल ने अपने करियर की शुरूआत में बड़े से बड़े खिलाड़ियों को मात दी है। इसी वजह से उन्होंने कॉमनवेल्थ गेम्स में भारत के लिए गोल्ड जीता। भारत के लिए कॉमनवेल्थ गेम्स में दो गोल्ड मेडल जीतने वाली साइना नेहवाल इकलौती महिला खिलाड़ी हैं। इसके अलावा साल 2018 में भी साइना ने मिक्स्ड प्रतियोगिता में सोने का तमगा हासिल किया था।