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शतरंज खिलाड़ी दिव्या देशमुख का गंभीर आरोप, महिला खिलाड़ियों के साथ हो रहे भेदभाव पर उठाए सवाल

भारतीय शतरंज खिलाड़ी दिव्या देशमुख ने आरोप लगाया है कि उन्हें नीदरलैंड के विज्क आन जी में हाल में संपन्न टाटा स्टील मास्टर्स टू्र्नामेंट में दर्शकों के गलत व्यवहार का सामना करना पड़ा। दिव्या ने कहा कि दर्शकों ने टूर्नामेंट के दौरान उनके बालों, कपड़ों और लहजे जैसी अप्रासंगिक चीजों पर ध्यान केंद्रित किया। 

नागपुर की 18 वर्षीय अंतर्राष्ट्रीय चेस मास्टर, जिन्होंने पिछले साल एशियाई महिला शतरंज चैंपियनशिप जीती थी, ने एक लंबी सोशल मीडिया पोस्ट शेयर की। जिसमें उन्होंने बताया है कि महिला खिलाड़ियों को नियमित रूप से स्त्री द्वेष का सामना करना पड़ता है। 

उन्होंने नोट में लिखा कि, मैं पिछले कुछ समय से इस पर ध्यान दिलवाना चाहती थी, लेकिन टूर्नामेंट खत्म होने का इंतजार कर रही थी। मैंने देखा है कि कैसे शतरंज में महिलाओं को अक्सर दर्शकों द्वारा हल्के में लिया जाता है। इसका सबसे हालिया उदाहरण टाटा स्टील मास्टर्स टूर्नामेंट है। मैंने कुछ मैच खेले जो मुझे लगा कि काफी अच्छे थे और मुझे उन पर गर्व है। 

दिव्या ने लिखा कि, मुझे लोगों ने बताया कि कैसे दर्शकों को खेल से कोई फर्क नहीं पड़ता, बल्कि वे खेल के अलावा दुनिया की हर एक चीज पर ध्यान केंद्रित कर रहे थे। जैसे मेरे कपड़े, बाल, लहजा और हर दूसीर आप्रासंगिक चीज। दिव्या टाटा स्टील मास्टर्स में चैलेंजर्स वर्ग में 4.5 के स्कोर के साथ 12वें स्थान पर रहीं। उन्होंने कहा कि पुरुष खिलाड़ियों को उनके खेल के लिए स्पॉटलाइट मिल रहा था, जबकि महिलाओं को उन पहलुओं के लिए आंका गया था जिनका शतरंज बोर्ड पर उनकी क्षमता से कोई लेना-देना नहीं था। 

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