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खेलों के महाकुंभ में कई खिलाड़ियों ने खूब ऊंचाई तय की है। कई खिलाड़ियों ने आकाश की ऊंचाइयों को छूने का काम किया। इन्हीं में से एक खिलाड़ी का नाम दुती चंद है। आपको बता दें कि दुती चंद महिलाओं के ट्रैक एंड फील्ड इवेंट्स में गोल्ड मेडल पाने वाली पहली महिला हैं। उनकी इस उपलब्धि पर न सिर्फ परिवार बल्कि पूरे देश को गर्व था। हांलाकि दुती चंद के गोल्ड मेडलिस्ट बनने का सफर आसान नहीं था। आज यानी की 3 फरवरी को दुती चंद अपना 28वां जन्मदिन मना रही हैं। आइए जानते हैं उनके बर्थडे के मौके पर दुती चंद के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में…
जन्म और शिक्षा
ओड़िशा के जयपुर में 3 फरवरी 1996 को दुतीचंद का जन्म हुआ था। वह बचपन से काफी बहादुर थीं। दुतीचंद एक गरीब परिवार में पैदा हुई थीं। परिवार के 9 सदस्यों के बीच संघर्ष कर उन्होंने अपना भविष्य बनाया। यह उनका पागलपन था, जो उनको इतना आगे तक लेकर आया था। वह हर रोज कड़ी ट्रेनिंग करती थीं और गांव की कच्ची सड़कों पर जॉगिंग करती थीं। इनमें से सबसे अच्छी बात यह थी कि उनको सही समय पर पता चल गया था कि गरीबी से बाहर वह अपनी मेहनत के जरिए आ सकती हैं।
करियर
झील के किनारे दौड़ की प्रैक्टिस करने वाली दुतीचंद साल 2012 में चर्चा में आई थीं। इस दौरान वह 100 मीटर स्पर्धा में अंडर-18 वर्ग में राष्ट्रीय चैंपियन बनीं। वहीं साल 2013 में दूतीचंद ने एशियाई एथलेटिक्स चैंपियनशिप, रांची में हुए नेशनल सीनियर एथलेटिक्स चैंपियनशिप और वर्ल्ड यूथ चैंपियनशिप में अपनी अद्भुत प्रतिभा का प्रदर्शन कर सबका ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया था।
वहीं दुतीचंद के करियर की दूसरी सबसे बड़ी उबलब्धि साल 2019 को मिली थी। इस दौरान उन्होंने इटली के नेपल्स में हुए वर्ल्ड यूनिवर्सियाड में 100 मीटर इवेंट में गोल्ड मेडल प्राप्त किया था। बता दें कि यह उपलब्धि हासिल करने वाली वह पहली महिला धावक थीं। दुतीचंद द्वारा 100 मीटर दौड़ में बनाया गया नेशनल रिकॉर्ड आज तक कोई नहीं तोड़ पाया है। साल 2016 के रियो ओलंपिक का टिकट हासिल कर वह 100 मीटर दौड़ में भाग लेने वाली देश की पांचवी महिला एथलीट बनी थीं।
इसके साथ ही साल 2018 में जकार्ता में हुए एशियाई खेल में उन्होंने दो पदक हासिल किए थे। दो दशक यानी की पीटी उषा के बाद 100 मीटर फाइनल में रजत पदक हासिल करना देश के लिए काफी गर्व का पल था। इसके अलावा महिलाओं के 200 मीटर के फाइनल जीत हासिल कर दुतीचंद करीब 16 साल बाद देश की गोल्ड मेडल जीतने वाली महिला एथलीट बनी थीं।
विवाद में भी जुड़ा नाम
आपको बता दें कि कॉमनवेल्थ गेम्स की तैयारी कर रही दुतीचंद को साल 2014 में एथलेटिक्स फेडरेशन ऑफ इंडिया द्वारा अयोग्य करार कर दिया गया था। हाइपरएंड्रोजेनिज़्म के कारण महिला खिलाड़ी के तौर पर उनको किसी भी इवेंट में भाग लेने से रोक दिया गया था। लंबी लड़ाई लड़ने के बाद साल 2015 में कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन फॉर स्पोर्ट में अपील करने के बाद उन पर लगे निलंबन को हटाया गया।