अंग प्रत्यारोपण जैसी जटिल चिकित्सा जरूरतों से गुजरने वाले भारतीय खिलाड़ी 15 से 26 अप्रैल तक ऑस्ट्रेलिया में होने वाले विश्व प्रत्यारोपण खेलों (वर्ल्ड ट्रांसप्लांट गेम्स) में देश के प्रतिनिधित्व के लिए तैयार है।
इन खेलों में अंग प्रत्यारोपण करने या अंग दान करने वाले देश के 30 खिलाड़ी दुनिया भर के ऐसे खिलाड़ियों के साथ प्रतिस्पर्धा करेंगे।
भारतीय टीम में शामिल मर्लिन पॉल का 31 साल की उम्र में दो बार गुर्दा (किडनी) प्रत्यारोपण हुआ था जबकि करहुन नंदा को 42 साल की उम्र में हृदय की विफलता का सामना करना पड़ा था।
वहीं, वरुण आनंद केवल नौ साल के थे जब उन्हें उनके गुर्दे ने काम करना बंद कर दिया।
इनके अलावा दल में बलवीर सिंह (बैडमिंटन खिलाड़ी), धर्मेंद्र सोती (बैडमिंटन खिलाड़ी) दिग्विजय सिंह गुजराल (स्क्वॉश) जैसे विश्व प्रत्यारोपण खेलों के पूर्व पदक विजेता भी शामिल है।
यह सभी खिलाड़ी देश के लिए पदक जीतने के उस सपने को पूरा करना चाहते है जो सर्जरी से पहले उनके लिए संभव नहीं था।
पैदल चाल में चुनौती पेश करने को तैयार केरल की मर्लिन ने पीटीआई-से कहा, ‘‘ मुझे लगभग 15 साल पहले गुर्दे की गंभीर बीमारी (सीकेडी) का पता चला था। मेरे दोनों गुर्दे का प्रत्यारोपण हुआ है। विश्व प्रत्यारोपण खेल मेरे लिए दुनिया भर के उन प्रेरणादायक प्रत्यारोपण प्राप्तकर्ताओं से मिलने का अवसर होगा जो इस तरह का समुदाय बनाने और सीकेडी के बारे में जागरूकता फैलाने में विश्वास करते हैं।’’
भारतीय दल के कप्तान 50 साल के नंदा ने कहा, ‘‘ मैंने 12 साल की उम्र में फुटबॉल खेलना शुरू किया था और तब से मैंने भारत का प्रतिनिधित्व करने का सपना देखा है। दुर्भाग्य से मैं राज्य स्तर से आगे नहीं बढ़ सका।’’
नंदा गोल्फ में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे। उन्होंने कहा, ‘‘ प्रत्यारोपण के बाद हालांकि मुझे उम्मीद नहीं थी कि मैं सामान्य जीवन जी पाउंगा। लेकिन इस बात को पांच साल हो गये और सबसे अच्छी चीज यह है कि मैं प्रत्यारोपण से पहले जो नहीं कर सका (खेलों में देश का प्रतिनिधित्व) वह अब कर रहा हूं।’’
विश्व प्रत्यारोपण खेलों का उद्देश्य अंग दान को बढ़ावा देने के साथ प्रत्यारोपित करने वाले और अंग दान करने वाले के स्वास्थ्य और फिटनेस में सुधार करने में मदद करना है।
इन खेलों में हृदय, फेफड़े, यकृत, गुर्दे, अग्न्याशय, स्टेम सेल और बोन मैरो प्रत्यारोपण करने या दान करने वाले हिस्सा ले सकते हैं।
भारतीय टीम खेलों में पराशर फाउंडेशन की एक पहल ‘ऑर्गन रिसीविंग एंड गिविंग अवेयरनेस नेटवर्क (ऑर्गन) इंडिया’ के प्रयास के कारण भाग ले पा रही है।