बॉम्बे उच्च न्यायालय ने इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) क्रिकेट फ्रेंचाइजी राजस्थान रॉयल्स के मालिकों पर कथित वित्तीय अनियमितताओं के लिए लगाये गये जुर्माने को कम करने के एक न्यायाधिकरण के आदेश को बरकरार रखा है।
न्यायाधिकरण ने जुर्माने की 98 करोड़ रुपये की राशि को घटाकर 15 करोड़ रुपये करने का आदेश पारित किया था।
न्यायमूर्ति के आर श्रीराम और न्यायमूर्ति नीला गोखले की खंडपीठ ने बुधवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा दायर की गयी अपील को खारिज कर दिया जिसमें उसने 11 जुलाई 2019 को न्यायाधिकरण द्वारा पारित आदेश को चुनौती दी थी।
उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि न्यायाधिकरण सबूत और विश्लेषण के आधार पर ही इस राशि को घटाने के निष्कर्ष पर पहुंचा है।
अदालत ने अपने आदेश में कहा, ‘‘ये निष्कर्ष भ्रष्ट होने से कोसों दूर हैं। इसलिये मामले में कानून का सवाल ही पैदा नहीं होता। हमने देखा कि विशेष निदेशक (ईडी) द्वारा अधिकतम जुर्माना लगाने की कोई वजह दर्ज नहीं की गयी है जबकि न्यायाधिकरण ने संबंधित दस्तावेज पर विचार करने के बाद हस्तक्षेप किया और यह जुर्माना कम किया है। ’’
पीठ ने कहा कि वह न्यायाधिकरण के फैसले से सहमत है और उन्हें न्यायाधिकरण के तर्क और निष्कर्ष के विकृत होने जैसा कुछ नहीं मिला।
ईडी ने 2013 में विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा) के प्रावधानों के अंतर्गत अपनी शुरूआती जांच में कथित अनियमितताओं का खुलासा होने के बाद राजस्थान रॉयल्स फ्रेंचाइजी टीम के मालिकों पर 98.35 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था।
टीम के मालिकों ने इसके खिलाफ अपीलीय न्यायाधिकरण के समक्ष अपील दायर की जिसने प्रवर्तन निदेशालय के आदेश को अनुचित ठहराया और जुर्माने की इस राशि को घटाकर 15 करोड़ रुपये कर दिया।