टीम इंडिया के अब तक के सर्वश्रेष्ठ क्रिकेटरों में से एक रहे कपिल देव आज यानी की 6 जनवरी को अपना 65वां जन्मदिन मना रहे हैं। उनकी कैप्टेंसी में कपिल देव ने ऐसा कमाल कर दिखाया था, जिसकी आज भी मिसाल दी जाती है। बता दें कि उनकी कप्तानी में भारत ने पहली बार विश्व चैंपियन बनने का गौरव हासिल किया था। भले ही वर्तमान समय में वह क्रिकेट की दुनिया से दूर हैं, लेकिन क्रिकेट के खेल में आज भी उनकी मिसाल दी जाती है। ऐसे में आइए जानते हैं उनके बर्थडे के मौके पर कपिल देव के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में…
जन्म
चंडीगढ़ में 6 जनवरी 1959 को कपिल देव का जन्म हुआ था। भारत को तेज गेंदबाजी में प्रतिष्ठा दिलाने वाले कपिल देव हरियाणा हरिकेन के नाम से फेमस थे। कपिल ने गेंदबाजी के अलावा बल्लेबाजी में भी अपने नाम कई रिकॉर्ड्स किए हैं। वहीं साल 1983 में कपिल देव की कैप्टेंसी में भारतीय टीम ने पहली बार विश्व कप अपने नाम किया था। वर्तमान समय का हर एक क्रिकेटर उनकी तरह आलराउंडर बनना चाहता है।
ऐसे बनें तेज गेंदबाज
बता दें कि जब कपिल देव महज 15 साल के थे, तो उनको मुंबई के एक ट्रेनिंग कैंप में भेजा गया था। जहां पर उनको खाने के लिए सिर्फ 2 रोटी और सूखी सब्जी मिली। यह देख उन्होंने खाने से इंकार कर दिया। इसके बाद वह कैंप मैनेजर तारापुर के पास पहुंचे और कहा कि वह फास्ट बॉलर हैं। इसलिए उनका सिर्फ 2 रोटी में काम नहीं चलेगा। इसपर कैंप मैनेजर ने कहा कि भारत में 40 साल में कोई फास्ट बॉलर नहीं पैदा हुआ। यह बात उनको चुभ गई और कपिल देव ने ठान लिया कि वह देश के सबसे तेज गेंदबाज बनेंगे।
क्रिकेट में डेब्यू
पहले मैच के दौरान किसी भी विरोधी टीम का बल्लेबाज भारतीय बॉलर के सामने हेलमेट नहीं पहनता था। वहीं कपिल देव ने 16 अक्तूबर 1978 में पाकिस्तान के खिलाफ फैसलाबाद टेस्ट मैच में डेब्यू किया था। ऐसे में जब वह दूसरा ओवर डाल रहे थे। तब गेंदबाजी के दौरान एक गेंद सादिक मोहम्मद के नाक के बगल से निकली। कपिल की इस बॉलिंग के घबराते हुए सादिन ने मैच रोककर हेलमेट मंगवाई।
क्रिकेट करियर
कपिल देव ने अपने 16 साल के करियर में 134 टेस्ट मैचों में 434 विकेट लिए। वहीं 8 शतकों के साथ 5248 रन बनाए। वह 5 हजार रन बनाने वाले और 400 विकेट लेने वाले इकलौते खिलाड़ी हैं। वहीं टेस्ट करियर में उन्होंने सिर्फ 20 बार नो बॉल फेंकी। विकेटों के बीच वह तेजी से भागने के लिए जाने जाते थे। आपको जानकर हैरानी होगी कि 184 टेस्ट पारियों में वह कभी रन आउट नहीं हुए।
वहीं वनडे क्रिकेट में 200 विकेट लेने का कारनामा भी कपिल देव ने कर दिखाया था। जब वेस्टइंडीज को फाइनल में हराकर कपिल देव ने देश को वर्ल्डकप जिताया, तो वह महज 24 साल के थे। इसके साथ ही वह भारतीय टीम के सबसे युवा कप्तान थे। साल 1994 में उन्होंने इंटरनेशनल क्रिकेट को अलविदा कह दिया। उस दौरान कपिल देव टेस्ट क्रिकेट में सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले फास्ट गेंदबाज थे। इसके साथ ही 11 मार्च 2010 में उनको ICC हॉल ऑफ फेम में शामिल किया गया।