ओलंपिक कांस्य पदक विजेता लवलीना बोरगोहेन को पूरा भरोसा है कि अधिक वजन वर्ग में खेलने से उन्हें इस महीने के अंत में शुरू होने वाली आईबीए महिला विश्व मुक्केबाजी चैम्पियनशिप से किसी बड़े अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट में स्वर्ण पदक नहीं जीत पाने के मिथक को तोड़ने में मदद मिलेगी।
वह 15 मार्च से यहां शुरू होने वाली महिला विश्व चैम्पियनशिप के 75 किग्रा वजन वर्ग में हिस्सा लेंगी जबकि पिछली दो विश्व चैम्पियनशिप में उन्होंने 69 किग्रा वजन वर्ग में कांस्य पदक जीता था और 2020 तोक्यो ओलंपिक में भी इसी वजन वर्ग में तीसरा स्थान हासिल किया था।
इस प्रतिष्ठित टूर्नामेंट में भारत की शीर्ष मुक्केबाज निकहत जरीन का ध्यान भी अपना स्वर्ण पदक बरकरार रखने पर होगा जबकि लवलीना भी शीर्ष स्थान हासिल नहीं कर पाने का मिथक तोड़ना चाहेंगी।
असम की 25 साल की मुक्केबाज ने 2018 और 2019 महिला विश्व चैम्पियनशिप दोनों में तीसरा स्थान हासिल किया था और फिर 2020 तोक्यो ओलंपिक में भी कांस्य पदक जीता था। जिससे लोगों ने कहना शुरू कर दिया कि यह प्रतिभाशाली मुक्केबाज अपना सर्वश्रेष्ठ नहीं कर रहीं।
लेकिन लवलीना ने इससे इनकार किया और कहा कि उनकी प्रतिबद्धता हमेशा रिंग में अपना शत प्रतिशत देने की होती है।
लवलीना ने अपने सभी तीनों कांस्य पदक 69 किग्रा में जीते हैं लेकिन वह आगामी चैम्पियनशिप में 75 किग्रा में हिस्सा लेंगी। उन्होंने कहा, ‘‘हां, यह (स्वर्ण पदक नहीं जीतना) मेरे दिमाग में भी चल रहा है, लेकिन मैं इस बार पदक का रंग बदलने के लिये बेकरार हूं। मेरा प्रयास हमेशा स्वर्ण पदक के लिये खेलने का है और इस बार भी कुछ अलग नहीं होगा। तैयारियां अच्छी चल रही हैं और मैं उम्मीद करती हूं कि मैं घरेलू जमीं पर इस मिथक को तोड़ सकती हूं। ’’
उन्होंने साथ ही कहा कि मौजूदा विश्व चैम्पियन निकहत जरीन के साथ उसी टीम का हिस्सा होने से उन पर अच्छा प्रदर्शन करके स्वर्ण पदक जीतने का कोई अतिरिक्त दबाव नहीं होगा।
लवलीना ने कहा, ‘‘मैं यह नहीं सोच रही हूं कि (विश्व चैम्पियन निकहत जरीन)दबाव मुझ पर होगा या नहीं। हमने स्वीकार कर लिया है कि हमें इस दबाव के साथ रहना होगा। हर टूर्नामेंट में ऐसा होता है। ’’
उन्होंने कहा, ‘‘मेरा ध्यान सिर्फ इसी पर लगा है कि मैं कितना अच्छा प्रदर्शन कर सकती हूं। इसका मतलब है कि नतीजों के बारे में सोचकर अतिरिक्त दबाव नहीं लूं।