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MS Dhoni ने बताया क्यों IPL 2008 में नहीं बने मार्की प्लेयर, खुद किया दिलचस्प खुलासा

आईपीएल की शुरुआत 2008 में हुई। टीम इंडिया के पूर्व कप्तान और दिग्गज विकेटकीपर बल्लेबाज एमएस धोनी तब से चेन्नई सुपर किंग्स का हिस्सा हैं। धोनी 2016 और 2017 को छोड़कर सीएसके के लिए सभी सीजन में खेले हैं। फ्रेंचाइजी को दो सीजन के लिए निलंबित कर दिया गया था। 
आईपीएल 2024 का आगाज 22 मार्च से होने की संभावना है। धोनी ने 17वें सीजन से पहले एक दिलचस्प खुलासा किया है। धोनी ने कहा कि वह आईपीएल 2008 में इसलिए मार्की प्लेयर नहीं बने क्योंकि उन्हें ज्यादा पैसे मिलने की उम्मीद थी। बता दें कि धोनी 2008 में आईपीएल के सबसे महंगे बिकने वाले खिलाड़ी थे। उन्हें चेन्नई ने 1.5 मिलियन डॉलर में खरीदा था।
42 वर्षीय धोनी ने स्टार स्पोर्ट्स द्वारा शेयर किए गए वीडियो में कहा कि, शुरुआत में जब पांच मार्की प्लेयर की घोषणा हुई तो उसके पहले मुझे अप्रोच किया गया था। पूछा गया कि क्या मैं किसी फ्रेंचाइजी के लिए मार्की प्लेयर बनान चाहूंगा? मुझे जल्दी फैसला लेना था। मैं 2007 में टी20 वर्ल्ड कप जीतने वाली टीम का कप्तान था। मैंने मन में सोचा कि ऑक्शन में एक मिलियन डॉलर तो कहीं नहीं गए। तो ऐसे मैंने ऑक्शन में जाने का रिस्क लिया। तीन फ्रेंचाइजी (चेन्नई, हैदराबाद और राजस्थान) थीं, जिनके पास मार्की प्लेयर नहीं थे। अगर तीन में से दो फ्रेंचाइजी मुझमें दिलचस्पी दिखाती हैं तो उससे ऑक्शन में ज्यादा बोली लगने के चांस हैं। 
 
साथ ही धोनी ने आगे कहा कि, अगर आप एक मार्की प्लेयर बनते हो, कहीं ना कहीं फ्रेंचाइजी मालिक के दिमाग में ये बात जरूर आती है कि अगर मैं एक खिलाड़ी को इतने डॉलर में खरीद रहा हूं तो मुझे मार्की प्लेयर को उससे 10 से 15 फीसदी ज्यादा पैसे देने होंगे। उस हिसाब से मैंने सोचा कि मेरे लिए ऑक्शन में जाना ही बेहतर होगा। जिन तीन फ्रेंचाइजी के पास मार्की प्लेयर नहीं हैं, अगर उनमें से कोई मुझे लेगा तो ज्यादा पैसे मिलने के चांस होंगे। जब ऑक्शन हुआ तो चेन्नई ने मुझे 1.5 मिलियन में खरीदा। उस समय जो सोचा था, वो काम कर गई। अब जब मैं वापस देखता हूं सिर्फ ये सोचना हूं कि अगर डॉलर का रेट 40 की जगह 70 होता तो मैंने बहुत ज्यादा पैसे कमाए होते। 

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