भारतीय महिला क्रिकेट टीम के सहयोगी स्टाफ को अब से दीर्घकालीन अनुबंध मिलेंगे क्योंकि भारतीय क्रिकेट बोर्ड (बीसीसीआई)ने तदर्थ रूप से उनकी नियुक्ति करने के चलन को खत्म करने का फैसला किया है।
बीसीसीआई के संविधान के अनुसार मुख्य कोच का चयन क्रिकेट सलाहकार समिति को करना होता है जबकि चयनकर्ता सहयोगी स्टाफ को चुनते हैं।
हालांकि महिला क्रिकेट टीम के सहयोगी स्टाफ (बल्लेबाजी, क्षेत्ररक्षण और गेंदबाजी कोच) के मामले में अतीत में बीसीसीआई ने इन नियमों का कड़ाई से पालन नहीं किया है और कोच की नियुक्ति राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी से अस्थाई रूप से करता रहा है।
बीसीसीआई के एक सूत्र ने पीटीआई को बताया, ‘‘सभी कोच को दीर्घकालीन अनुबंध दिए जाएंगे और अतीत की तरह यह अस्थाई इंतजाम नहीं होगा। यह टीम को जरूरी स्थिरता देगा।’’
रविवार को शीर्ष परिषद की वर्चुअल बैठक में यह फैसला किया गया।
पिछले साल दिसंबर में रमेश पोवार को बर्खास्त किए जाने के बाद से महिला क्रिकेट टीम बिना मुख्य कोच के खेल रही थी और यहां तक कि फरवरी में टी20 विश्व कप में भी कोचिंग स्टाफ के प्रमुख के बिना खेली।
सीनियर महिला टीम ने अब तक विश्व खिताब नहीं जीता है और कोचिंग प्रक्रिया को बेहतर करना अगले आईसीसी टूर्नामेंट की तैयारी की दिशा में पहला कदम है।
बैठक के एजेंडे में 2023-2027 चक्र के घरेलू सत्र (अंतरराष्ट्रीय और घरेलू टूर्नामेंट दोनों) के मीडिया अधिकारों पर चर्चा भी शामिल था लेकिन इस मुद्दे पर कोई ठोस फैसला नहीं किया जा सका।
आईपीएल मीडिया अधिकारों से 48 हजार 390 करोड़ रुपये की भारी भरकम राशि मिलने के बाद बीसीसीआई को 2023-2027 चक्र के मीडिया अधिकारों से काफी उम्मीदें हैं।
भारतीय क्रिकेट पारिस्थितिकी तंत्र में वियाकॉम के शामिल होने के बाद यह स्टार और सोनी की मौजूदगी में त्रिस्तरीय मुकाबला होगा।
बीसीसीआई को आईपीएल के प्रसारण और डिजिटल अधिकार अलग-अलग बेचकर काफी फायदा हुआ और उम्मीद है कि स्वदेश में होने वाले अंतरराष्ट्रीय मुकाबलों के लिए भी यही प्रक्रिया अपनाई जाएगी। स्टार ने 31 मार्च को खत्म हुए पिछले चक्र के लिए 6138.1 करोड़ रुपये का भुगतान किया था।