भुवनेश्वर। हॉकी डोपिंग के मामले में सबसे स्वच्छ खेलों में से एक है जिसमें पिछले पांच वर्षों में इससे संबंधित अपराधों के लिए सिर्फ आठ खिलाड़ियों को निलंबित हुए है।
अंतरराष्ट्रीय हॉकी महासंघ (एफआईएच) हालांकि इस मामले में सतर्कता बनाये रखना चाहता है। जनवरी 2017 से डोप उल्लंघन (प्रतिकूल विश्लेषणात्मक निष्कर्ष) के 14 मामले रिपोर्ट किए गए हैं, जिनमें से आठ खिलाड़ियों को निलंबन की सजा दी गई है। इसमें लगभग सभी मामले नशीले पदार्थों से संबंधित है न कि प्रदर्शन बढ़ाने वाले पदार्थों से।
एफआईएच के मुताबिक 2021 में ‘ डोपिंग नियमों के उल्लंघन (एडीआरवी)’ से जुड़ा सिर्फ एक मामला सामने आया लेकिन इसमें भी किसी को निलंबित नहीं किया गया। एफआईएच के वरिष्ठ संचार प्रबंधक निकोलस मैनगोट ने कहा कि विश्व डोपिंग रोधी एजेंसी (वाडा) के लक्ष्यों और महत्वाकांक्षाओं के अनुरूप, एफआईएच एक स्वच्छ खेल संचालन की अपनी प्रतिबद्धता को बेहद गंभीरता से लेता है और यह सुनिश्चित करने के लिए काम करता है कि डोपिंग से जुड़े परीक्षण और शिक्षा में कोई कमी ना रहे।
हॉकी में हालांकि एथलेटिक्स, तैराकी, भारोत्तोलन और यहां तक कि फुटबॉल जैसे अन्य खेलों की तुलना में एक वर्ष में किए गए डोप परीक्षणों की संख्या बहुत कम है।
मौजूदा विश्व कप में क्रॉसओवर मैचों के अंत तक लगभग 20 नमूने एकत्र किए गए थे, जो एक वैश्विक टूर्नामेंट के लिए बहुत कम है। क्रॉसओवर चरण तक विश्व कप के 44 में से 28 मैच खेले जा चुके है।
इसकी तुलना में कतर में 2022 फीफा विश्व कप में 1,600 से अधिक डोप नमूने एकत्र किए गए थे।
एफआईएच ने हालांकि कहा कि बाकी मैचों (16 मैचों) में ‘अधिक नमूने एकत्र किए जा सकते हैं’।
उन्होंने बताया कि भाग लेने वाले खिलाड़ियों का पहले भी परीक्षण किया जा चुका है।
इस विश्व कप में राष्ट्रीय डोपिंग रोधी एजेंसी (नाडा) के अधिकारियों द्वारा नमूने एकत्र किए जा रहे है।
मैनगोट ने कहा, ‘‘सभी टीमों का पहले ही परीक्षण किया जा चुका है। इस प्रतियोगिता में भाग लेने वाले खिलाड़ियों का परीक्षण पहले किया जा चुका है। यह एनएडीओ (राष्ट्रीय डोपिंग रोधी संगठन) द्वारा किया जाता है।’’
उन्होंने कहा कि इस प्रक्रिया का प्रबंधन आईटीए (अंतर्राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी) करता है लेकिन नमूना संग्रह के लिए भारत का एनएडीओ जिम्मेदार है।
हॉकी में 2021 में 177 खिलाड़ियों के 200 नमूने एकत्र किए गए, जिनमें से 127 प्रतियोगिता के दौरान के थे और 73 प्रतियोगिता से बाहर थे। इसमें मूत्र के नमूनों की संख्या 183 थी, जबकि 17 रक्त के नमूने थे। इस में 51 प्रतिशत नमूने पुरुष खिलाड़ियों के थे।
उन्होंने कहा कि एफआईएच ने जुलाई 2015 से नियम बनाया है कि उसकी प्रतियोगिताओं में भाग लेने वाले खिलाड़ियों को एक अनुमोदित डोपिंग रोधी शिक्षा कार्यक्रम को पूरा करना होगा। ऐसे खिलाड़ी जिनके पास वैध डोपिंग रोधी प्रमाणपत्र (दो वर्ष के लिए वैध) नहीं है, उसे प्रतियोगिता में तब तक खेलने की अनुमति नहीं दी जाएगी जब तक कि वे इसे हासिल नहीं कर लेता।