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ग्रैंडमास्टर आर प्रज्ञानंद ने टाटा स्टील मास्टर्स का खिताब जीत लिया। प्रज्ञानंद ने विश्व चैंपियन डी गुकेश को टाईब्रेकर में 2-1 से खिताब पर कब्जा जमा लिया। बता दें कि इससे पूर्व दोनों भारतीय खिलाड़ी अंतिम दिन अपनी बाजियां हार गए थे लेकिन दोनों की बीच खिताब के लिए टाईब्रेकर मुकाबला हुआ था। जिसमें प्रज्ञाननंद ने बाजी मारी। प्रज्ञानंद और गुकेश दोनों को अपने अंतिम दौर में मैचों में हार का सामना करना पड़ा। गुकेश को अर्जुन एरिगैसी ने हराया, जबकि प्रज्ञानंद जर्मनी के विंसेंट कीमर से हार गए। इन असफतलाओं के बावजूद, वे लीडरबोर्ड में टॉप पर बने रहे, जिससे टूर्नामेंट टाईब्रेकर में चला गया।
प्रज्ञानंद ने मास्टर्स में पूर्ण अंक प्राप्त करने और अपनी पहली जीत हासिल करने के लिए सही तकनीक का प्रदर्शन किया तो दूसरी और गुकेश के लिए, ये लगातार दूसरा साल था जब वह पहले स्थान के लिए बराबरी पर रहे और टाईब्रेकर हार गए, पिछले साल के पिछले सीजन में गुकेश चीनी वेई यी से भी हार गए थे।
जहां गुकेश को अपने साथी भारतीय खिलाड़ी अर्जुन एरिगैसी से हार का सामना करना पड़ा वहीं प्रज्ञाननंदा जर्मनी के विंसेंट कीमर से हार गए। प्रज्ञाननंदा ने अपनी जीत के बाद टूर्नामेंट की आधिकारिक वेबसाइट से कहा, ‘‘मेरे हाथ अब भी कांप रहे हैं। यह कितना रोमांच से भरा दिन था। मेरे पास इसको व्यक्त करने के लिए शब्द नहीं है। मुझे वास्तव में जीत की उम्मीद नहीं थी लेकिन चीजें मेरे अनुकूल होती रही।’’
केवल दो साल की उम्र से शतरंज खेल रहे प्रज्ञाननंदा ने कहा, ‘‘मेरे लिए यह दिन खास है क्योंकि मैंने टूर्नामेंट जीता है। लेकिन निश्चित तौर पर यह तनाव से भरा दिन था।’’ गुकेश ने टाईब्रेकर में पहली बाजी जीतकर बढ़त बनाई लेकिन प्रज्ञाननंदा ने इसके बाद शानदार वापसी करके अगली दोनों बाजियां जीत कर चैंपियन बनने का गौरव हासिल किया।
प्रज्ञाननंदा ने कहा, ‘‘विंसेंट के खिलाफ मैं उस स्तर के आसपास भी नहीं खेल पाया, जिस स्तर पर मैं यहां खेल रहा था। मुझे अर्जुन को कोई उपहार देना चाहिए क्योंकि कई बार मुझे लगा कि गुकेश ने टूर्नामेंट में बेहतर प्रदर्शन किया।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मैं जीत का लक्ष्य लेकर यहां आया था लेकिन चुनौती काफी कड़ी थी।मैं वास्तव में कल तक इसके बारे में ज्यादा नहीं सोच रहा था। मैं काफी थक चुका हूं और अब थोड़ा विश्राम करना चाहता हूं।’’ गुकेश को यहां लगातार दूसरे वर्ष टाईब्रेकर में हार का सामना करना पड़ा। पिछली बार वह चीन के चीनी वेई यी से हार गए थे।