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Sharjah की Desert Storm पारी को याद करते हुए Sachin Tendulkar ने फैंस के प्यार को दिया सारा श्रेय

क्रिकेट के भगवान कहलाने वाले सचिन तेंदुलकर के लिए आज का दिन बेहद अहम है। उन्होंने वैसे को अपने क्रिकेटिंग करियर में कई शानदार, ऐतिहासिक पारियां खेली हैं मगर विश्व कप में मिली जीत उनके जीवन का सबसे अच्छा लम्हा है। इसका खुलासा खुद सचिन तेंदुलकर ने किया है।
 
मुंबई में आयोजित हुए एक कार्यक्रम के दौरान भारतीय टीम के पूर्व खिलाड़ी और क्रिकेट दिग्गज सचिन तेंदुलकर ने खास यादें साझा की है। 1998 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ शारजाह में अपनी ऐतिहासिक ‘डेजर्ट स्टॉर्म’ पारी के 25 साल पूरे होने पर उन्होंने विश्व कप विजय को लेकर भी अपनी खुशी जाहिर की है। उन्होंने फैंस का शुक्रिया अदा करते हुए कहा कि आपके समर्थन, सपोर्ट, लव अफेक्शन के बिना मैंने जो कुछ भी हासिल किया है वो हासिल करना संभव नहीं था।
 
विश्व कप की जीत दर्शकों को सौंपी
उन्होंने कहा कि मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में खेले गए विश्व कप 2011 के फाइनल में जीत हासिल करना बेहद खास लम्हा है। उन्होंने कहा कि करोड़ों फैंस की सकारात्मक ऊर्जा के जरिए ही भारत के लिए जीत हासिल करने में सफलता मिली। ट्रॉफी जितने का 1983 से शुरू हुआ जो 2011 में पूरा हुआ। वो सिर्फ भारतीय टीम की नहीं बल्कि सभी की ट्रॉफी है क्योंकि उसमें सभी का रोल था। उन्होंने कहा कि वर्ष 2011 तक कोई होस्टिंग देश ने ट्रॉफी नहीं जीती थी, वहीं साथ में लोगों की उम्मीदैं काफी अधिक थी। करोड़ों लोग हमारे साथ थे ऐसे में रुकना मुश्किल था। वो मेरे क्रिकेट के जीवन का मेरे शहर में ही सबसे अच्छा दिन था। 
 
शारजाह में खेली ऐतिहासिक पारी
गौरतलब है कि आज का दिन सचिन तेंदुलकर के जीवन में बेहद खास महत्व रखता है क्योंकि आज ही के दिन 25 वर्षों पूर्व यानी 1998 में शाहजाह के मैदान पर उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 131 गेंदों में 143 रनों की तूफानी पारी खेली थी। इस यादगार और ऐतिहासिक पारी में उन्होंने नौ चौके और पांच छक्के जड़े थे।
 
बता दें कि इस मुकाबले में भारतीय टीम को 285 रनों का टारगेट मिला था, जिसका पीछा करने के दौरान शारजाह में रेतीला तूफान आया था। इस भयंकर तूफान के कारण मुकाबले को रोकना पड़ा था। हालांकि मुकाबला रुकने के बाद सचिन तेंदुलकर खुद तूफान बनकर ऑस्ट्रेलिया के गेंदबाजों पर टूट पड़े थे। यही कारण है कि सचिन की इस पारी को डेजर्ट स्टॉर्म के नाम से जाना जाता है। हालांकि सचिन तेंदुलकर की दमदार पारी की बदौलत भी भारतीय टीम इस मुकाबले को जीत नहीं सकी थी।

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