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इतिहास रचने के बाद रोहन बोपन्ना का बयान, कहा- नंबर एक रैंकिंग भारतीय टेनिस की अगली पीढ़ी को प्रेरित करेगी

रोहन बोपन्ना को लगता है कि करियर के अंतिम पड़ाव में उनका युगल रैंकिंग में शीर्ष पर पहुंचना भारतीय टेनिस के लिए इस समय प्रेरणादायी रहेगा क्योंकि इस समय वह खराब दौर से जूझता दिख रहा है।
बोपन्ना (43 वर्ष) बुधवार को ऑस्ट्रेलयाई खिलाड़ी मैथ्यू इबडेन के साथ आस्ट्रेलियाई ओपन के सेमीफाइनल में पहुंचने के बाद पुरुष युगल की नंबर एक रैंकिंग हासिल करने वाले उम्रदराज टेनिस खिलाड़ी बन जायेंगे।

करियर की सर्वश्रेष्ठ तीसरी रैंकिंग से टूर्नामेंट में प्रवेश करने वाले बोपन्ना और इबडेन ने यहां एक घंटे 46 मिनट तक चले क्वार्टरफाइनल में अर्जेंटीना के मैक्सिमो गोंजालेज और आंद्रेस मोल्टेनी की छठी वरीय जोड़ी पर 6-4, 7-6 की आसान जीत दर्ज की।
बोपन्ना टूर्नामेंट के समाप्त होने के बाद सोमवार को युगल विश्व रैंकिंग में शीर्ष पर पहुंच जायेंगे।

बोपन्ना ने मेलबर्न से पीटीआई से इंटरव्यू में कहा, ‘‘यह उपलब्धि सिर्फ मेरे लिए ही नहीं बल्कि भारतीय टेनिस के लिए भी काफी अहमियत रखती है। अगली पीढ़ी को प्रेरित करने के लिए आपको किसी चीज की जरूरत होती है। सुमित नागल का भी आस्ट्रेलियाई ओपन शानदार रहा। उसने एक दौर का मैच जीता। ’’
उन्होंने कहा कि यह उपलब्धि इतनी सारी कुर्बानियों के बाद मिली है।
उन्होंने कहा, ‘‘पुरुष युगल में नंबर एक रैंकिंग पर बहुत गर्व है। यह काफी विशेष क्षण है। पर इसके लिए काफी कुर्बानी दी हैं। मेरे कोच और परिवार सभी ने। मेरा परिवार मेरे साथ ही यात्रा कर रहा है इसलिये यह बिलकुल अलग अहसास है।’’ बल्कि वह इस बात से ज्यादा खुश हैं कि पिछले हफ्ते भारतीय टेनिस सुर्खियों में रहा।

बोपन्ना ने कहा, ‘‘भारतीय टेनिस में कुछ भी नहीं हो रहा था। आपके पास भी कुछ लिखने को नहीं था इसलिये यह सब बिलकुल सही समय पर हुआ। ’’
इससे पहले अमेरिका के राजीव राम अक्टूबर 2022 में विश्व रैंकिंग में शीर्ष पर पहुंचने वाले सबसे उम्रदराज खिलाड़ी बने थे। उनकी उम्र 38 थी और करियर में पहली बार शीर्ष पर पहुंचे थे।
वहीं इबडेन विश्व रैंकिंग में दूसरे स्थान पर पहुंच जायेंगे।
बोपन्ना दो बार अमेरिकी ओपन के फाइनल में पहुंचे लेकिन कभी भी पुरुष युगल ग्रैंडस्लैम ट्राफी नहीं जीत सके।

वह हालांकि फ्रेंच ओपन में मिश्रित युगल ट्राफी जीत चुके हैं। 2017 फ्रेंच ओपन में कनाडा की गैब्रिएला दाब्रोवस्की के साथ उन्होंने फाइनल मेमं अन्न लेना ग्रोनेफेल्ड और रोबर्ट फराह की जोड़ी को 2–6 6–2 12–10 से हराकर खिताब जीता था।
पुरुष युगल खिताब जीतने की ख्वाहिश अभी तक पूरी नहीं हुई है जिससे बोपन्ना संन्यास लेने से पहले इसे हासिल करना चाहते हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘ग्रैंडस्लैम में पुरुष युगल खिताब जीतना मेरी दिली ख्वाहिश है। यह किसी अन्य का लक्ष्य नहीं है।’’
यह अनुभवी भारतीय हमेशा एक समय में एक कदम आगे बढ़ाने पर विश्वास करता आया है।

उन्होंने भविष्य के लक्ष्य के बारे में बात करते हुए कहा, ‘‘जब आप दूसरे दौर में पहुंचते हो तो आप तीसरे दौर में पहुंचना चाहते हो, फिर चौथे दौर, क्वार्टर और सेमीफाइनल में। हां, मैं दो ग्रैंडस्लैम के फाइनल में पहुंचा और अब मैं इसे जीतना चाहता हूं, यह स्वाभाविक भी है। आप हमेशा एक कदम बेहतर करने की कोशिश करते हो। ’’
बोपन्ना ने 2013 में पहली बार नंबर तीन की सर्वश्रेष्ठ रैंकिंग हासि की थी। वह लिएंडर पेस, महेश भूपति और सानिया मिर्जा के बाद युगल रैंकिंग में शीर्ष पर पहुंचने वाले चौथे भारतीय खिलाड़ी होंगे।
उनकी इस यात्रा में उनके अमेरिकी कोच स्कॉट डेविड का योगदान अहम रहा जिनके बारे में उन्होंने कहा, ‘‘मैं शायद दुनिया के नंबर एक कोच का पचास प्रतिशत हूं। यह उनके लिए भी गर्व का पल है। मैंने 2010 में युगल खेलना शुरू किया और तब से मैं उनके साथ ही हूं।’’

सेमीफाइनल में बोपन्ना-इबडेन की जोड़ी का सामना चेक गणराज्य के टोमास माचाक और चीन के झिझेन झांग की गैर वरीय जोड़ी से होगा।
उनके पूर्व डेविस कप टीम साथी महेश भूपति और सोमदेव देववर्मन ने इसे भारतीय खेल के शानदार क्षण में से एक करार किया।
भूपति ने ‘एक्स’ पर लिखा, ‘‘रोहन बोपन्ना आज दुनिया की नंबर एक रैंकिंग पर पहुंच रहे हैं जो मेरी राय में भारतीय खेल की सबसे शानदार खबरों में से एक है। ’’

देववर्मन ने लिखा, ‘‘बोप्स ने मुझे बताया कि वह पांच साल पहले संन्यास लेने के बारे में सोच रहे थे, फिर चार साल पहले, फिर तीन साल पहले तो कहानी का सार है कि किसे मतलब है, वह नंबर एक है। बोपन्ना के परिवार के लिए बहुत खुश हूं। रोहन बोपन्ना भारतीय खेल की सर्वश्रेष्ठ कहानी है।

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