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भारतीय एथलीटों को कोचिंग देने को तैयार हैं Rudisha

ओलंपिक 800 मीटर स्पर्धा में दो बार स्वर्ण पदक जीतने वाले कीनिया के डेविड रूडिशा अपने शानदार करियर के खत्म होने के बाद भारतीय फर्राटा और मध्यम दूरी के धावकों को प्रशिक्षण देने के लिए तैयार हैं। आठ सौ मीटर स्पर्धा में दो बार के विश्व चैंपियन रूडिशा ने  लंदन ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतने के चार साल बाद रियो में अपने प्रदर्शन को दोहराया था। उन्होंने कहा कि चार साल में होने वाले इन खेलों में लगातार पदक जीतना आसान नहीं है, लेकिन भारत के भाला फेंक खिलाड़ी नीरज चोपड़ा इस उपलब्धि को हासिल कर सकते हैं।

इसके लिए हालांकि उन्हें उसी तरह की प्रशिक्षण और अभ्यास की जरूरत होगी जैसा कि वह 2020 तोक्यो खेलों से पहले करते थे।
रूडिशा ने कहा कि उनका ‘पेशेवर करियर के खत्म होने की कगार’ पर पहुंच गया है और खेल को अलविदा कहने के बाद वह कोच के तौर पर अपना करियर शुरू कर सकते हैं।

उनसे जब पूछा गया कि क्या वह अपने पेशेवर करियर के खत्म होने के बाद भारतीय फर्राटा और मध्यम दूरी के धावकों को प्रशिक्षित करने के इच्छुक होंगे तो उन्होंने कहा, ‘‘ देखिये मैंने स्तर एक और स्तर दो के कोचिंग कार्यक्रमों को पूरा किया है। मुझे नयी शुरुआत करनी है और वह (कोचिंग) एक विकल्प हो सकता है। कोच के लिए कोई सीमा नहीं है। आप एक शिक्षक की तरह हैं और जो सीखना चाहता है उसका स्वागत है।’’

रूडिशा रविवार को होने वाले अपोलो टायर्स नयी दिल्ली मैराथन की ब्रांड दूत के रूप में यहां पहुंचे हैं। वह उन कुछ ट्रैक एथलीटों में से एक हैं जिन्होंने ओलंपिक में लगातार दो स्वर्ण जीते हैं। उनका मानना है कि ओलंपिक के पदक को लगातार दो आयोजनों में जीतना आसान नहीं है।
यह पूछे जाने पर कि क्या नीरज अपने तोक्यो खिताब का बचाव कर पाएंगे।

रूडिशा ने कहा, ‘‘लगातार ओलंपिक में प्रदर्शन करना आठ साल का कठिन सफर है। इतने सारे नये एथलीट आ रहे हैं। मेरा अनुभव कहता है कि (स्वर्ण) का बचाव करना आसान नहीं है और इसकी कोई गारंटी नहीं है, यह देखते हुए कि शारीरिक फिटनेस, तैयारी आदि जैसी कई अन्य चीजें भी एक प्रमुख भूमिका निभाती हैं। लेकिन, हाँ, इसे हासिल किया जा सकता है।

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