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Sakshi Malik ने कहा, बबीता फोगाट ने हमारे विरोध को कमजोर करने का प्रयास किया

नयी दिल्ली। ओलंपिक खेलों की पदक विजेता साक्षी मलिक ने रविवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की नेता और राष्ट्रमंडल खेलों की पूर्व स्वर्ण पदक विजेता पहलवान बबीता फोगाट पर आरोप लगाया कि वह पहलवानों का इस्तेमाल अपने स्वार्थ के लिए कर रही हैं और उनके विरोध को कमजोर कर रही हैं।
साक्षी और उनके पति सत्यव्रत कादियान ने शनिवार को भी वीडियो पोस्ट करके आरोप लगाया था कि बबीता और भाजपा के एक अन्य नेता तीरथ राणा ने शुरुआत में पहलवानों के जंतर-मंतर पर प्रदर्शन की स्वीकृति ली थी लेकिन बाद में उन्हें सलाह देने लगे कि इस मंच का इस्तेमाल राजनीति पार्टियों द्वारा राजनीतिक उद्देश्य के लिए नहीं होना चाहिए।
राणा ने हालांकि कहा कि ना तो उन्होंने और ना ही बबीता ने शुरुआत में प्रदर्शन शुरू करने और बाद में इसे कमजोर करने का प्रयास किया।

उन्होंने कहा कि पहलवान देश का गौरव हैं और खिलाड़ियों का सम्मान भाजपा के लिए सर्वोच्च है।
राणा ने वीडियो में कहा, ‘‘देखिए, पहलवान देश का गौरव हैं और भाजपा के लिए खिलाड़ियों का सम्मान सर्वोच्च है और मैं भी उनका काफी सम्मान करता हूं। मैंने हमेशा खिलाड़ियों का समर्थन किया है।’’
साक्षी, विनेश फोगाट और बजरंग पूनिया सहित देश के शीर्ष पहलवानों ने भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के निवर्तमान अध्यक्ष और भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह पर यौन उत्पीड़न और डराने-धमकाने का आरोप लगाया है और उसे गिरफ्तार करने की मांग की है।
कादियान और साक्षी ने एक पत्र भी दिखाया जिसमें कथित तौर पर दिखाया गया है कि बबीता और राणा ने जंतर-मंतर पुलिस थाने से पहलवानों के धरने की स्वीकृति ली थी।

साक्षी ने रविवार को ट्वीट किया, ‘‘वीडियो (शनिवार को) में हमने तीरथ राणा और बबीता फोगाट पर तंज कसा था कि कैसे वे अपने स्वार्थ के लिए पहलवानों को इस्तेमाल करना चाह रहे थे और कैसे पहलवानों पर जब विपदा पड़ी तो वे जाकर सरकार की गोद में बैठ गए।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हम मुसीबत में जरूर हैं लेकिन हास्यबोध इतना कमजोर नहीं हो जाना चाहिए कि ताकतवर को काटी चुटकी पर आप हंस भी न पाएं।’’
राणा ने हालांकि इन आरोपों को खारिज किया कि उन्होंने पहलवानों का इस्तेमाल निजी स्वार्थ के लिए किया।
उन्होंने कहा, ‘‘पहलवान आए और मेरे से मिले (विरोध शुरू करने से पहले) और उन्होंने हमारे से कहा कि उनका शोषण किया गया है। हमने कहा कि हम अपनी बहनों और बेटियों के साथ हैं। न्याय की लड़ाई में मैं खिलाड़ियों के साथ हूं। मैं पहले भी उनके साथ था और अब भी हूं।’’

बृजभूषण के खिलाफ विरोध की अगुआई कर रहे तीन शीर्ष पहलवानों में से एक विनेश ने भी अप्रैल में अपनी चचेरी बहन से आग्रह किया था कि वह सोशल मीडिया पर विरोधाभासी बयान जारी करके ‘हमारे अभियान को कमजोर’ नहीं करे।
हैवीवेट पहलवान कादियान ने शनिवार को कहा था कि उनका आंदोलन राजनीति से प्रेरित नहीं है और सरकार के खिलाफ नहीं है।
उन्होंने कहा था, ‘‘हम पिछले कई महीनों से डब्ल्यूएफआई के निवर्तमान अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह की गिरफ्तारी की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं क्योंकि उसने महिला पहलवानों का यौन उत्पीड़न किया है।’’
कादियान ने कहा, ‘‘जनता के बीच इस तरह का माहौल तैयार किया गया कि हमारा आंदोलन राजनीति से प्रेरित है। मैं आपको स्पष्ट कर दूं कि हमारा विरोध राजनीति से प्रेरित नहीं है।

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हम जनवरी में जंतर-मंतर पर धरना स्थल पर आए और पुलिस से इजाजत भाजपा के दो नेताओं ने ली थी। हमारे पास जंतर-मंतर पुलिस थाने से स्वीकृति लेने का सबूत है। यह भाजपा नेताओं तीरथ राणा और बबीता फोगाट ने ली थी।’’
राणा ने इस बात से इनकार किया कि अगर पहलवान हरिद्वार में अपने ओलंपिक पदक गंगा नदी में विसर्जित कर देते तो हिंसा हो जाती।
संसद के नए भवन के उद्घाटन के दिन उसकी ओर बढ़ने के प्रयास में प्रदर्शनकारी पहलवानों को पुलिस ने हिरासत में लिया था। इसके एक दिन बाद प्रदर्शनकारी पहलवान अपने पदकों को विसर्जित करने हरिद्वार पहुंचे थे लेकिन ऐसा करने के खिलाफ उन्हें मना लिया गया।
राणा ने कहा, ‘‘इस तरह की कोई बात नहीं हुई कि ऐसा करने (पदकों को विसर्जित करने) से हिंसा होगी। खिलाड़ियों के बीच गुस्सा था और उन्होंने फैसला किया कि वे अपने पदक गंगा में विसर्जित करेंगे लेकिन देश के लोगों का मानना था कि खिलाड़ियों को ऐसा कदम नहीं उठाना चाहिए।

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