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Sunil Chhetri Birthday: भारतीय फुटबॉल टीम के ‘स्टार’ हैं सुनील छेत्री, पूरी दुनिया में लहराया भारत का परचम

भारतीय फुटबॉल टीम के स्तर खिलाड़ी और कप्तान सुनील छेत्री आज यानी की 3 अगस्त को अपना 39वां बर्थडे मना रहे हैं। उन्होंने फुटबॉल खेल में कई बड़े रिकॉर्ड्स को अपने नाम किया है। छेत्री ने साल 2005 में पाकिस्तान के खिलाफ अपने इंटरनेशनल कॅरियर की शुरूआत की थी। 18 साल के अंतर्राष्ट्रीय कॅरियर में छेत्री ने फुटबॉल खेल में भारत का परचम पूरी दुनिया में लहराया है। सुनील छेत्री के शानदार रिकॉर्ड्स उनकी कड़ी मेहनत और फुटबॉल खेल को लेकर समर्पण को दिखाता है। आइए जानते हैं उनके जन्मदिन के मौके पर सुनील छेत्री के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में…
जन्म और शिक्षा
बता दें कि भारतीय फुटबॉल टीम के कप्तान सुनील छेत्री का जन्म 3 अगस्त 1984 को सिकंदराबाद में हुआ था। इनके पिता केबी छेत्री भारतीय सेना की टीम में खेलते थे। वहीं सुनील की माता सुशीला छेत्री नेपाल की राष्ट्रीय टीम में खेलती थीं। सुनील के पिता आर्मी में होने के कारण देश के कई हिस्सों में रहे। वहीं सुनील छेत्री ने अपनी स्कूली शिक्षा गंगटोक से पूरी की। इसके बाद उन्होंने दिल्ली के आर्मी पब्लिक स्कूल में शिक्षा हासिल की। सुनील ने कोलकाता में भी पढ़ाई की। बता दें कि 12वीं के बाद सुनील छेत्री ने पढ़ाई छोड़कर अपना पूरा फोकस फुटबॉल खेलने में लगाया। इस दौरान तक वह फुटबॉल के खेल में चमक चुके थे।
हालांकि इस बात को बहुत कम लोग जानते हैं कि सुनील छेत्री फुटबॉलर नहीं बनना चाहते थे। वह इसे सिर्फ अपने शौक के लिए खेलते थे। जिससे कि उन्हें किसी अच्छे कॉलेज में स्पोर्ट्स कोटे से दाखिला मिल जाए। लेकिन सुनील छेत्री की प्रतिभा को उनके शुरूआती कोच ने पहचान लिया था। जिसके बाद उन्होंने ही सुनील को फुटबॉल खेलने के लिए प्रेरित किया।
कॅरियर में देखे उतार-चढ़ाव
भले ही आज वह भारतीय फुटबॉल टीम के स्टार हैं। लेकिन सुनील ने अपने कॅरियर में कई उतार चढ़ाव देखे हैं। एक समय ऐसा भी था जब सुनील छेत्री को एक कोट ने नाकाम खिलाड़ी का टैग दिया था। साल 2012 में जब छेत्री पुर्तगाल के क्लब स्पोर्टिंग लिस्बन से जुड़े तो उस टीम के कोच ने सुनील की काफी बेइज्जती कर दी थी। कोच ने छेत्री की काबिलियत पर सवाल उठाया था और उनको टीम A से टीम B में भेजने के लिए कहा था। 
इस क्लब के साथ सुनील छेत्री करीब 9 महीने तक जुड़े रहे। लेकिन इस दौरान उन्हें सिर्फ 5 मैच खेलने का मौका मिला। इसके बाद वह साल 2010 में अमेरिका के कन्सास सिटी विजार्ड्स से भी जुड़े। लेकिन एक साल बाद ही वह अपने देश भारत लौट आए। सुनील छेत्री ने भारतीय राष्ट्रीय टीम के अलावा अपने कॅरियर में मोहन बगान, बेंगलुरु एफसी के लिए भी खेल चुके हैं।
पुरस्कार
भारतीय फुटबॉल टीम के कप्तान सुनील छेत्री को अब तक कई अवॉर्ड्स से सम्मानित किया जा चुका है। साल 2011 में सुनील छेत्री को अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया। वहीं साल 2019 में उन्हें पद्म श्री अवॉर्ड से नवाजा गया। इसके बाद साल 2021 में उनको मेजर ध्यानचंद खेल रत्न दिया गया।
जानिए सन्यास को लेकर क्या बोले छेत्री
अब तक 142 मैच खेल चुके छेत्री ने कहा कि सन्यास लेने की कोई समयसीमा नहीं है। वह अपने मानदंड के बारे में जानते हैं। जब वह कड़ी ट्रेनिंग न कर पा रहे हों, या टीम के लिए योगदान न कर पा रहे हों, या फिर जब उन्हें ऐसा लगेगा कि वह टीम के लिए ठीक नहीं हैं, तो उस दिन वह खेल को अलविदा कह देंगें। सुनील छेत्री ने कहा कि फिलहाल उन्हें यह नहीं पता है कि वह कब सन्यास लेंगे।

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