नयी दिल्ली। ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व करने के सपने को साकार करने के बाद माना पटेल इस साल एशियाई खेलों में पिछले 17 वर्षों में प्रतिस्पर्धा करने वाली पहली भारतीय महिला तैराक बनना चाहती है।
इससे पहले 2006 में दोहा एशियाई खेलों में शिखा टंडन ने भारत का प्रतिनिधित्व किया था।
तोक्यो ओलंपिक में माना भारत की इकलौती महिला तैराक थी। इसमें माना को यूनिवर्सेलटी कोटा मिला था। इस कोटे के तहत किसी देश के एक पुरुष और एक महिला तैराक को क्वालीफाई नहीं करने के बावजूद ओलंपिक में भाग लेने की मंजूरी दी जाती है।
तेइस साल की माना सितंबर से चीन के हांग्झोऊ में होने वाले एशियाई खेलों के लिए क्वालीफाई कर भारत की 17 साल की गैरमौजूदगी को खत्म करना चाहती है।
माना ने कहा, ‘‘ मेरा लक्ष्य अभी एशियाई खेलों के क्वालीफायर में अच्छा प्रदर्शन करना है। मैंने 200 मीटर बैकस्ट्रोक के लिए आठवां स्थान (पिछले एशियाई खेलों में आठवें स्थान पर रहीं तैराक के बराबर समय) हासिल किया है लेकिन मेरा लक्ष्य अपने समय को कम कर छठे स्थान के समय के साथ स्वत: क्वालीफाई करना है। ’’
माना ने भारतीय तैराकी महासंघ (एसएफआई) द्वारा निर्धारित आठवें स्थान के क्वालीफाइंग समय को पार कर लिया है और कुछ और सेकंड कम कर छठे स्थान के समय को हासिल करने की कोशिश कर रही है।
एसएफआई ने हांग्झोऊ एशियाई खेलों के स्वत: चयन के लिए पिछले एशियाई खेलों के छठे स्थान पर रहने वाले तैराक से बेहतर समय निर्धारित किया है।
माना ने पिछले साल सीनियर राष्ट्रीय तरणताल चैंपियनशिप में चार स्वर्ण और दो कांस्य पदक जीतकर अच्छा प्रदर्शन किया था।
उन्होंने इसके बाद राष्ट्रीय खेलों में तीन स्वर्ण, दो रजत और एक कांस्य पदक जीता।
पिछले सत्र के बाद माना को एक साथ दो सर्जरी से गुजरना पड़ी। उन्हें टॉन्सिल्लेक्टोमी (गले और मुंह के बीच) और और नेजल सेप्टम (नाक) की सर्जरी करानी पड़ी।
माना ने कहा, ‘‘राष्ट्रीय खेलों के दौरान, मैं बीमार पड़ने लगी थी। गले में तेज दर्द था। खाना खाने और यहां तक की तरल पदार्थ निगलने में कठिनाई होती थी और मुझे ये समस्याएं बार-बार होती हैं इसलिए मैं विशेषज्ञ चिकित्सक के पास गयी, जहां पता चला कि मुझे पुरानी टॉन्सिलिटिस है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ मेरी नाक में कुछ परेशानी थी जिससे मुझे सांस लेने में तकलीफ हो रही थी। चिकित्सकों ने मुझे दोनों सर्जरी एक साथ नहीं करने की सलाह दी थी लेकिन मैं तरणताल से ज्यादा समय के लिए दूर नहीं रहना चाहती थी।