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Vinod Kambli अर्श से फर्श तक कैसे पहुंचे? राहुल द्रविड़ ने वीडियो में समझाया कांबली और सचिन तेंदुलकर में अंतर- Video

कुछ दिनों पहले पूर्व क्रिकेट विनोद कांबली और सचिन तेंदुलकर का एक वीडियो काफी वायरल हुआ। जिसमें दोनों दिग्गज एक ही मंच साझा करते हुए दिखे। इस वीडियो ने सोशल मीडिया पर एक नई बहस छेड़ दी। लोगों ने इस वीडियो पर अपनी प्रतिक्रिया दी। इस वीडियो में विनोद कांबली को देखकर हर कोई भावुक हो गया, कांबली इस वीडियो में काफी बीमार लग रहे हैं और वह सचिन तेंदुलकर को देखकर इतने खुश हुए कि उनका हाथ तक नहीं छोड़ पा रहे थे। लेकिन इसी बीच वहीं पूर्व कप्तान राहुल द्रविड़ ने ईमानदारी से कमेंट किया था। उन्होंने बताया था कि महान अनिल कुंबले को पहली ही गेंद पर छक्का जड़ने वाले विनोद कांबली और सचिन तेंदुलकर में क्या अंतर है। 
सचिन तेंदुलकर के बचपन के दोस्त कांबली जब क्रिकेट मैदान में आए तो वह सबसे चर्चित क्रिकेटरों में से एक थे, लेकिन वह अपना कद बरकरार रखने में असफल रहे।  1991 में डेब्यू करने के बाद भारत के लिए 104 वनडे और 17 टेस्ट खेलने के बावजूद कांबली का अंतर्राष्ट्रीय करियर एक दशक भी नहीं चला। इस बारे में भात के लिए 509 मैच खेले और बाद में सीनियर टीम को कोचिंग देने वाले राहुल द्रविड़ ने एक बार उदाहरण दिया था कि कैसे विनोद कांबली में अविश्वसनीय गेंद मारने की क्षमता थी, लेकिन शायद अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेटर बनने के लिए क्या करना पड़ता है ये समझने के लिए उनके पास अन्य क्षेत्रों में प्रतिभा नहीं थी। 
राहुल द्रविड़ वीडियो में कहते हैं कि, मुझे लगता है कि हम प्रतिभा को गलत तरीके से आंकते हैं। हम प्रतिभा को किस रूप में देखते हैं? मैंने भी यही गलती की है। हम प्रतिभा को लोगों की क्रिकेट बॉल को मारने की क्षमता से आंकते हैं। क्रिकेट बॉल की मिठास या टाइमिंग। यही एकमात्र जरिया है जिसे हम प्रतिभा के रूप में देखते हैं। दृढ़ संकल्प, साहस, अनुशासन और स्वभाव जैसी चीजें भी प्रतिभा है। जब हम प्रतिभा का आंकलन करते हैं तो मुझे लगता है कि हमें पूरे पैकेज को देखना होगा। 
द्रविड़ ने कहा कि, ये समझना मुश्किल है, लेकिन कुछ लोगों में टाइमिंग और बॉल-स्ट्राइकिंग का हुनर होता है। सौव गांगुली के पास कवर ड्राइव को टाइम करने की क्षमता थी। सचिन में ये क्षमता है, और वीरू में भी। आप गौतम गंभीर जैसे खिलाड़ी के बारे में ऐसा नहीं कहेंगे, जितना आप इनमें से कुछ अन्य खिलाड़ियों के बारे में कहेंगे। ऐसा नहीं है कि गौतम कम सफल हैं। इसलिए हम प्रतिभा को ईस रूप में देखते हैं। हम वास्तव में प्रतिभा के दूसरे पहलू को नहीं देखते। हम कहते हैं कि एक प्रतिभाशाली खिलाड़ी सफल नहीं हो पाया। हम हमेशा इस पहलू को देखते हैं लेकिन शायद उसमें अन्य प्रतिभाएं नहीं थीं।
वहीं राहुल ने आगे कहा कि, मुझे बुरा लगता है कि लेकिन विनोद शायद उन सबसे अच्छे लोगों में से एक हैं जिनसे मैं मिला हूं। विनोद के पास गेंद को मारने की अद्भुत क्षमता थी। मुझे राजकोट में एक खेल याद है। विनोद ने जवागल श्रीनाथ और अनिल कुंबले के खिलाफ 150 रन बनाए थे। ये अविश्वनीय था। पहली गेंद अनिल ने डाली, उन्होंने उसे सीधे पत्थर की दीवार पर मारा। राजकोट में एक पत्थर की दीवार हुआ करती थी। उन्होंने सीधे उस पर मारा। मेरा मतलब है कि हम सभी हैरान थे, वाह ये अद्भुत था। आप ऐसा कैसे करते हैं? लेकिन शायद उनके पास अन्य क्षेत्रों में वह प्रतिभा नहीं थी जो ये समझ सके कि एक अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट बनने केलिए क्या करना पड़ता है तनाव और दबाव से कैसे निपटना है। मैं केवल अनुमान लगा सकता हूं लेकिन शायद सचिन के पास इससे कहीं ज्यादा था। यही कारण है कि सचिन आज जहां है वहां हैं।

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