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पेरिस ओलंपिक 2024 की तैयारियां जोरों शोरो पर हैं। सभी देशों के खिलाड़ी ओलंपिक की तैयारी में जुटा हुआ है। वहीं इसी कड़ी में भारतीय खिलाड़ियों से भी देश को मेडल की आस है। वहीं आज हम आपको तीरंदाजी के बारे में डिटेल्स में बताने जा रहे हैं।
तीरंदाजी क्या है?
सबसे पहले तो तीरंदाजी क्या है? और इसकी शुरुआत ओलंपिक में कैसे हुई। दरअसल, तीरंदाजी सबसे पुराने खेलों में से एक है जो आज भी काफी लोकप्रिय खेल है। इसके तार सभ्यता के विकास से भी काफी करीब से जुड़े हैं। धनुष और तीर के इस्तेमाल से खेले जाने वाले इस खेल का इतिहास हजारों साल पुराना है। एक सांस्कृति प्रगति के रूप में, ये आग की खोज और पहिए के आविष्कार की तरह ही माना जाता था।
वहीं ओलंपिक में इस खेल को सबसे पहले 1900 में शामिल किया गया था। इसके बाद 1904,1908 और साल 1920 में भी ये ओलंपिक प्रतियोगिता का हिस्सा था। लेकिन यहां से 52 साल तक ये खेल ओलंपिक से दूर रहा जिसके बाद साल 1972 में इसकी वापसी हुई और तब से अब तक तीरंदाजी ओलंपिक प्रोग्राम में लगातार शामिल रहा है।
तीरंदाजी के नियम
ये खेल के रूप में तीरंदाजी के प्रकार पर निर्भर करता है। अलग-अलग डिसिप्लीन के लिए अलग नियम होते हैं जिसमें ये स्पष्ट किया जाता है कि किस प्रकार का धनुष इस्तेमाल में लाया जा सकता है। ओलंपिक में रिकर्व धनुष के साथ लक्ष्य तीरंदाजी देखने को मिलती है। इसमें एथलीट 70 मीटर की दूरी पर रखे लक्ष्य पर निशाना साधते हैं, जहां हर प्रतियोगी सेट प्वाइंट जीतने के लिए प्रतिस्पर्धा करते हैं। एक सेट जीतने के लिए 2 अंक की जरूरत होती है जबकि एक सेट टाई कराने के लिए 1 अंक की आवश्यकता होती है। जो भी प्रतिस्पर्धा पहले 6 सेट प्वाइंट हासिल करता है उसे विजेता घोषित किया जाता है। इस खेल में अन्य प्रकार की तीरंदाजी में फील्ड तीरंदाजी, इनडोर तीरंदाजी और पैरा तीरंदाजी शामिल हैं। अन्य धनुष जिनका इस्तेमाल किया जा सकता है उनमें एक कंपाउंट बो या बेयर बो शामिल हैं।
धीरज बोम्मदेवरा से मेडल की आस
2024 पेरिस ओलंपिक में भारत को तीरंदाजी में मेडल की आस है। वहीं पुरुषों की रिकर्व तीरंदाजी में धीरज बोम्मदेवरा ने एशियन कॉन्टिनेंटल क्वालीफायर टूर्नामेंट 2023 में ओलंपिक के लिए कोटा हासिल किया था।
बता दें कि, धीरज ने एशियन गेम्स 2023 में सिल्वर मेडल जीता। जिस कारण एक बार फिर देश को उनसे पेरिस ओलंपिक 2024 में मेडल की उम्मीद है।