भारोत्तोलन या वेटलिफ्टिंग एक ऐसा खेला है जहां एथलीट भार वाले बारबेल्स (एक लोहे की रॉड जिसमें भार लगे होते हैं) को उठाते हैं। वेटलिफ्टिंग एथलीटों की ताकत और तकनीक का परीक्षण करता है।
वेटलिफ्टिंग का आविष्कार
दरअसल, वेटलिफ्टिंग का आविष्कार प्राचीन मिस्त्र और ग्री दोनों समाजों के बीच प्रचलन में था। ये मुख्य रूप से 19वीं शताब्दी में एक अंतर्राष्ट्रीय खेल के रूप में विकसित हुआ और 1896 में एथेंस में आयोजित पहले आधुनिक ओलंपिक खेलों में शामिल होने वाले कुछ खेलों में से एक है।
वेटलिफ्टिंग के नियम
वेटलिफ्टर्स बॉडीवेट श्रेणियों, भार वर्गों में प्रतिस्पर्धा करते हैं।
ओलंपिक वेटलिफ्टिंग में दो चरण होते हैं- स्नैच और क्लीन एंड जर्क।
स्नैच में वेटलिफ्टर बारबेल को उठाते हैं और इसे अपने सिर के ऊपर एक सिंगुलर मोशन में लिफ्ट करते हैं।
क्लीन एंड जर्क में वेटलिफ्टिर को सबसे पहले बारबेल को उठाकर अपनी छाती तक लाना होता है। यहां पर वेटलिफ्टर को थोड़ी देर रुकना होता है और फिर वे अपनी बाहों वा पैरों को खुछ खास तरह से फैलाकर बारबेल को सिर के ऊपर ले जाते हैं। इस दौरान उनकी कोहनी बिल्कुल सीधी रहनी चाहिए और जब तक बज़र नहीं बज जाता तब तक बारबेल को सिर के ऊपर उठाए रखना होगा।
एक वेटलिफ्टर को तीन स्नैच प्रयास और तीन क्लीन एंड जर्क प्रयास दिए जाते हैं। स्नैच और क्लीन एंड जर्क में एक भरोत्तोलक के सर्वश्रेष्ठ प्रयास को जोड़ा जाता है और उच्चतम संयुक्त भार उठाने वाले को विजेता घोषित किया जाता है।
पेरिस ओलंपिक 2024 में भारत को मेडल की आस
इस बार साउथ पेरिस के एरिना 6 में आयोजित होने वाली वेटलिफ्टिंग प्रतिस्पर्धा में कुल 120 एथलीट, 10 श्रेणियों में प्रतिस्पर्धा करेंगे। महिला और पुरुष दोनों ही एथलीट पांच-पांच कैटेगरी में प्रतिस्पर्धा करते हुए दिखाई देंगे।
वहीं इस बार भारत को भी ओलंपिक 2024 में वेटलिफ्टिंग में मेडल की आस है। पिछले साल एशियन गेम्स 2023 में भारत की आस मीराबाई चानू से थी लेकिन वो मेडल हासिल करने से चूक गई थीं।