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प्रधानमंत्री मोदी, भाजपा नेताओं ने आपातकाल के लिए कांग्रेस पर बोला हमला

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनके मंत्रिमंडल के सहयोगियों ने रविवार को आपातकाल के ‘‘काले दिनों’’ को याद करते हुए उन दिनों को देश के इतिहास का ऐसा कालखंड बताया, जो संवैधानिक मूल्यों के ‘‘एकदम विपरीत’’ था।
अमित शाह, राजनाथ सिंह, अनुराग ठाकुर, किरेन रीजीजू, स्मृति ईरानी, ​​प्रह्लाद जोशी, नितिन गडकरी और अर्जुन राम मेघवाल सहित कई केंद्रीय मंत्रियों ने 1975 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा घोषित आपातकाल की 48वीं बरसी पर कांग्रेस पर जमकर हमला बोला। भाजपा नेताओं ने कहा कि कांग्रेस के नेतृत्व ने ‘‘राष्ट्रीय हित से ऊपर एक परिवार के अहंकार’’ को ध्यान में रखते हुए लाखों लोगों को रातों-रात जेल में डाल दिया।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक ट्वीट में कहा, ‘‘मैं उन सभी साहसी लोगों को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं, जिन्होंने आपातकाल का विरोध किया और हमारी लोकतांत्रिक भावना को मजबूत करने के लिए काम किया। आपातकाल के काले दिन हमारे इतिहास का वह कालखंड हैं, जिसे भुलाया नहीं जा सकता।

यह हमारे संवैधानिक मूल्यों के बिल्कुल विपरीत था।’’
भाजपा ने आपातकाल को लेकर ऐसे समय हमला बोला है, जब कुछ दिनों पहले कांग्रेस सहित विपक्षी दलों ने पटना में मोदी के नेतृत्व वाली सरकार पर ‘‘लोकतांत्रिक अधिकारों को कुचलने’’ और ‘‘लोकतांत्रिक संस्थाओं को कमजोर करने’’ का आरोप लगाया था।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि अपने सत्ता-स्वार्थ के लिए लगाया गया आपातकाल, कांग्रेस की तानाशाही मानसिकता का प्रतीक और कभी न मिटने वाला कलंक है।
शाह ने ट्वीट किया, ‘‘आज ही के दिन 1975 में एक परिवार ने अपने हाथ से सत्ता निकलने के डर से जनता के अधिकारों को छीन कर व लोकतंत्र की हत्या कर देश पर आपातकाल थोपा था। उस कठिन समय में अनेक यातनाएं सहकर लोकतंत्र को पुनर्जीवित करने के लिए लाखों लोगों ने संघर्ष किया। मैं उन सभी देशभक्तों को दिल से नमन करता हूं।’’
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, ‘‘आज भारत में लोकतंत्र उन लोगों के योगदान के कारण जीवित है, जिन्होंने आपातकाल के दौरान संघर्ष किया, जेल गए और यातनाएं सहीं।

भारत की आने वाली पीढ़ियां उनके योगदान को कभी नहीं भूल सकतीं।
भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा ने कहा कि कांग्रेस की निर्दयता ने सैकड़ों वर्षों के विदेशी शासन के अत्याचार को भी पीछे छोड़ दिया था। उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘25 जून 1975 को एक परिवार ने अपनी तानाशाही प्रवृत्ति के कारण देश के महान लोकतंत्र की हत्या कर आपातकाल जैसा कलंक थोपा था। ऐसे कठिन समय में असीम यातनाएं सहकर लोकतंत्र की स्थापना के लिए संघर्ष करने वाले सभी राष्ट्र भक्तों को नमन करता हूं।’’
भाजपा ने सिलसिलेवार ट्वीट कर याद दिलाया कि कैसे ‘‘बेलगाम कैद, अत्याचार और यातना की दर्दनाक अवधि’’ के दौरान नागरिक अधिकारों और प्रेस की स्वतंत्रता को निलंबित कर दिया गया था।
भाजपा ने ट्विटर पर कहा, ‘‘आपातकाल के दौरान लगभग 1,40,000 लोगों को बिना मुकदमे के गिरफ्तार किया गया था।’’ पार्टी ने ट्विटर पर इंदिरा गांधी की तस्वीर के साथ एक पोस्टर भी संलग्न किया, जिस पर ‘‘भारतीय लोकतंत्र का सबसे काला अध्याय’’ लिखा था।

सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा, ‘‘कांग्रेस की दमनकारी नीतियों, सत्ता पिपासा व तानाशाही मानसिकता ने 25 जून 1975 को आपातकाल लगाकर भारतीय लोकतंत्र के ऊपर कभी ना मिटने वाला धब्बा लगाया था।’’
ठाकुर ने कहा, ‘‘अपनी महत्वाकांक्षा के चलते कांग्रेस नेतृत्व ने रातों रात लाखों निरपराध लोगों को जेलों में ठूंस दिया, प्रेस की आजादी पर ताला लगा दिया, लोगों की अभिव्यक्ति की आज़ादी छीन ली। देशहित से ऊपर एक परिवार, एक व्यक्ति के अहंकार को रखा गया।’’
केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने हैशटैग ‘आपातकाल के काले दिन’ के साथ पांच मिनट का एक वीडियो ट्वीट किया, जिसमें आपातकाल की घटनाओं और उस अवधि के दौरान कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार की कथित क्रूरताओं के बारे में बताया गया है। इसमें कहा गया, ‘‘प्रेस की स्वतंत्रता का गला घोंट दिया गया और न्यायपालिका के हाथ काट दिये गये।’’
केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने प्रधानमंत्री के मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ के दो मिनट का क्लिप ट्वीट किया, जिसमें उन्होंने लोकतंत्र समर्थकों के खिलाफ हुए कथित अत्याचारों के बारे में बात की थी।

पुरी ने कहा, ‘‘25 जून, 1975 को एक असुरक्षित और निरंकुश शासक द्वारा घोषित आपातकाल को हमेशा लोकतंत्र और मानवाधिकारों पर करारे प्रहार के रूप में याद किया जाएगा। यह एक विशेष परिवार और राजनीतिक संगठन के अहंकार और सत्ता से चिपके रहने की लालसा को भी दिखाता है।’’
केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने भी आपातकाल को लेकर कांग्रेस पर निशाना साधा। गोयल ने जयपुर में संवाददाताओं से कहा, ‘‘आपातकाल केवल इसलिए लगाया गया क्योंकि अदालत ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार को भ्रष्ट सरकार घोषित कर दिया था और कहा था कि वह छह साल तक कोई पद नहीं संभाल सकतीं।’’
भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने आपातकाल के खिलाफ आवाज उठाने वाले लोगों को श्रद्धांजलि दी।
नोएडा में एक कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा, ‘‘25 जून 1975 का दिन भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में काले दिन के रूप में जाना जाता है।

लेकिन उस दौरान भारत ने उन लोगों के संघर्ष और बलिदान को देखा था जिन्होंने लोकतंत्र और मीडिया की स्वतंत्रता को बचाने के लिए अपना सब कुछ दांव पर लगा दिया था। उन्होंने लोकतंत्र को बचाने के लिए किसी भी हद तक जाने की इच्छाशक्ति दिखाई।’’
गुवाहाटी में, असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने अफसोस जताया कि अध्यादेश पर हस्ताक्षर करने वाले तत्कालीन राष्ट्रपति और कांग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष असम से ताल्लुक रखते थे।
शर्मा ने देश के तत्कालीन राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘आदेश पर हस्ताक्षर करने वाले राष्ट्रपति असमिया थे। यह पहली बार था कि हमारे राज्य से एक व्यक्ति देश के राष्ट्रपति बने थे, लेकिन उनके हाथ से आपातकाल के आदेश पर हस्ताक्षर किए गए।’’
मुख्यमंत्री ने कहा कि तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष देवकांत बरुआ भी असम से ही ताल्लुक रखते थे जिनका ‘‘इंडिया इज इंदिरा और इंदिरा इज इंडिया’’ वाला कथन इतिहास में दर्ज हो गया।
हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने भी आपातकाल लगाए जाने को लेकर कांग्रेस पर हमला बोला।

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