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1950 के दशक से अब तक 110 मिशन, कितने देशों ने चंद्रमा पर इंसान को उतारा है

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) एक बार फिर चंद्रयान-3 मिशन के साथ चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग का प्रयास कर रहा है, जिसे 14 जुलाई को दोपहर 2.30 बजे श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया जाना है। 50 वर्ष पहले की तुलना में यह कार्य अभी भी काफी कठिन है। चंद्रयान -2 मिशन सितंबर 2019 में विफलता में समाप्त हो गया जब विक्रम लैंडर चंद्रमा की सतह पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया। उस वर्ष की शुरुआत में इजरायल के नेतृत्व वाले बेरेशीट मिशन का भी ऐसा ही हश्र हुआ था। कई वर्षों के बाद तेजी से आगे बढ़ा और जापानी हकुतो-आर मिशन भी इस साल अप्रैल में चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग पूरा करने में विफल रहा। ये उन कई असफल मिशनों में से कुछ हैं जिनमें चंद्रमा को छूने की आशा थी। 1960 के दशक में, अंतरिक्ष दौड़ के दौरान, संयुक्त राज्य अमेरिका और सोवियत संघ ने एक के बाद एक अंतरिक्ष यान दुर्घटनाग्रस्त किये, जब तक कि वे अंततः एक अंतरिक्ष यान को उतारने में सफल नहीं हो गये। चीन एकमात्र अन्य देश है जिसने चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग पूरी की और उसने 2013 में चांग-5 मिशन के साथ अपने पहले प्रयास में ऐसा किया।

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चंद्रयान-3 के जरिए ऐसा करना वाला भारत बनेगा चौथा देश
चांद पर क्या है? यह जानने की उत्सुकता सभी को रहती है। 1969 में जब चांद की धरती पर इंसान ने पहली बार कदम रखा, तब से लेकर अब तक कई मून मिशन भेजे जा चुके हैं। कई देश इसमें सफल हुए, लेकिन लैंडिंग केवल तीन देशों के मिशन ही कर पाए। चंद्रयान-3 के जरिए भारत ऐसा करने वाले दुनिया का चौथा देश बन सकता है। चंद्रयान-2 से सीखते हुए भारत ने चंद्रयान-3 मिशन में कई बदलाव भी किए हैं। इसका लॉन्च 14 जुलाई को है। 50 साल से कोई इंसान चांद पर नहीं गया है। सिर्फ अमेरिका वहां इंसान उतारने में सफल रहा है। 14 दिसंबर 1972 को आखिरी बार वहां इंसान उतरा था। 24 इंसान वहां तक गए, जिनमें से 12 ने चांद की जमीन पर कदम रखा।
कितने देशों ने चंद्रमा पर इंसान को उतारा है
आज तक केवल एक ही देश ऐसा कर पाया है- अमेरिका। अपोलो स्पेस प्रोग्राम के तहत अमेरिका ने कुल 12 अंतरिक्ष यात्रियों को अब तक चांद की जमीन पर उतारा है। इसके अलावा केवल तीन देश चंद्रमा पर स्पेसशिप की सॉफ्ट लैंडिंग कराने में सफल हुए हैं- अमेरिका, रूस और चीन ।

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भारत के चंद्रयान-3 का लैंडर कितना खास?
इस बार लैंडर की टांगों को काफी मजबूत बनाया गया है ताकि इमरजेंसी में भी उसकी लैंडिंग सफल रहे। ज्यादा फ्यूल और नया सेंसर लगाया गया है, ताकि वह ज्यादा बाधाओं को झेल सके और उसमें वापस आने की क्षमता हो। लेजर डॉपलर वेलोसिटी मीटर एक सेंसर है जो चांद की जमीन का विश्लेषण करेगा। ज्यादा पावर जेनेरेट करने के लिए स्पेस एजेंसी इसरो ने इस बार लैंडर में और ज्यादा सोलर पैनल लगाए गए हैं। 
11 देशों के मून मिशन ही सफल रहे 
चांद पर 1950 के दशक से अबतक 110 मिशन भेजे गए हैं:-
सोवियत यूनियन- 23
चीन- 7
जापान- 2
लग्जमबर्ग- 1
यूरोपियन यूनियन- 1
भारत- 1
इटली- 1
इस्राइल- 1
साउथ कोरिया- 1
यूएई- 1

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