भारत का राजधानी दिल्ली में पहली बार दो दिनों का वैश्विक बौद्ध शिखर सम्मेलन का आयोजन हुआ है। यह संस्कृति मंत्रालय और अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ द्वारा आयोजित किया गया है। इसका उद्घाटन करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गौतम बुद्ध की महान शिक्षाओं पर प्रकाश डाला। वहीं, केंद्रीय संस्कृति राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि भगवान बुद्ध की शिक्षाएं शांति और अहिंसा पर आधारित थीं जो भारतीय दर्शन की अनुकुल थीं। भगवान बुद्ध के विचार आज भी प्रासंगिक हैं। बौद्ध धर्म को मानने वाले करीब 30 देशों के 170 प्रतिनिधि आए हैं। उन्होंने कहा कि प्रतिनिधियों में प्रख्यात बौद्ध भिक्षु, विद्वान, राजदूत और राजनयिक शामिल हैं।
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भाजपा नेता ने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी ने भी कहा कि भगवान बुद्ध शांति की बात करते हैं और उन्होंने कहा भी है कि हमने बुद्ध दिया, युद्ध नहीं। आस-पास अशांति है। उन्होंने कहा कि उस अशांति को भगवान बुद्ध के सिद्धांतों के साथ दूर कर सकते हैं। कुछ देश कट्टरता में विश्वास करते हैं जो ठीक नहीं है। आप विनाशकारी मार्ग के रास्त पर ही क्यों जा रहे हैं? तिब्बती आध्यात्मिक नेता दलाई लामा ने शुक्रवार को वैश्विक बौद्ध सम्मेलन में हिस्सा लिया और यहां दो दिवसीय कार्यक्रम के लिए जमा हुए बौद्ध भिक्षुओं एवं अन्य गणमान्य लोगों को संबोधित किया। दलाई लामा ने करीब आधे घंटे के अपने संबोधन में बौद्ध दर्शन एवं मूल्यों पर जोर दिया।
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बुद्ध के उपदेशों में हैं वैश्विक समस्याओं के समाधान
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने यूक्रेन-रूस युद्ध, मौजूदा वैश्विक आर्थिक परिस्थितियों, आतंकवाद और जलवायु परिवर्तन से जुड़ी चिंताओं को इस सदी की सबसे बड़ी चुनौतियां करार देते हुए कहा कि महात्मा बुद्ध के उपदेशों में इन सारी समास्याओं के समाधान हैं। प्रधानमंत्री ने यह कहते हुए समृद्ध देशों पर भी निशाना साधा कि दुनिया आज जलवायु परिवर्तन के संकट का सामना कर रही है क्योंकि पिछली शताब्दी में ‘‘कुछ देशों ने दूसरों के बारे में और आने वाली पीढ़ियों के बारे में सोचना ही बंद कर दिया था’’। उन्होंने कहा, ‘‘दशकों तक वो यही सोचते रहे कि प्रकृति से इस छेड़छाड़ का प्रभाव उनके ऊपर नहीं आएगा। वो देश इसे दूसरों के ऊपर ही डालते रहे।’’