भारत और चीन ने शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के लिए चीनी रक्षा मंत्री जनरल ली शांगफू की दिल्ली यात्रा से पहले पूर्वी लद्दाख में तीन साल से चले आ रहे सैन्य टकराव को शांत करने के लिए रविवार को शीर्ष स्तर की सैन्य वार्ता किया। इसको लेकर आधिकारिक जानकारी दे दी गई है। भारत-चीन कोर कमांडर स्तर की बैठक का 18वां दौर 23 अप्रैल को चुशुल-मोल्दो सीमा बैठक बिंदु पर चीनी पक्ष में आयोजित किया गया था। दोनों पक्षों ने पश्चिमी क्षेत्र में एलएसी के साथ संबंधित मुद्दों के समाधान पर स्पष्ट और गहन चर्चा की ताकि सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति और शांति बहाल की जा सके, जिससे द्विपक्षीय संबंधों में प्रगति होगी।
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मार्च 2023 में दोनों विदेश मंत्रियों के बीच राज्य के नेताओं द्वारा प्रदान किए गए मार्गदर्शन और आगे की बैठक के अनुसार, उन्होंने खुले और स्पष्ट तरीके से विचारों का आदान-प्रदान किया। विदेश मंत्रालय ने पूर्वी लद्दाख पर भारत-चीन सैन्य वार्ता को लेकर कहा कि दोनों पक्ष पश्चिमी क्षेत्र में जमीनी स्तर पर सुरक्षा और स्थिरता बनाए रखने पर सहमत हुए। दोनों पक्षों ने निकट संपर्क में रहने और सैन्य और राजनयिक चैनलों के माध्यम से बातचीत बनाए रखने और जल्द से जल्द शेष मुद्दों के परस्पर स्वीकार्य समाधान पर काम करने पर सहमति व्यक्त की। पिछले साल 20 दिसंबर को 17वें दौर में कोई सफलता दर्ज नहीं किए जाने के साथ ही चार महीने के अंतराल के बाद यह वार्ता हुई थी।
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प्राप्त जानकारी के अनुसार, भारतीय पक्ष ने पूर्वी लद्दाख में डेमचोक और देपसांग के शेष विवादित स्थलों से संबंधित मुद्दों को जल्द से जल्द हल करने पर जोर दिया। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के एससीओ सम्मेलन से इतर अपने चीनी समकक्ष के साथ द्विपक्षीय बैठक करने की संभावना है। वार्ता के दौरान भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व लेह स्थित 14वीं कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल राशिम बाली ने किया। यही सैन्य कोर लद्दाख क्षेत्र में एलएसी पर सीमा सुरक्षा व्यवस्था संभालती है। कोर कमांडर स्तर की वार्ता पूर्वी लद्दाख विवाद को हल करने के लिए शुरू की गई थी। भारत का कहना है कि जब तक सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति नहीं होगी, तब तक चीन के साथ उसके संबंध सामान्य नहीं हो सकते।