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POK के लिए रिजर्व रहेंगी 24 सीट, Jammu-Kashmir में विधानसभा की कुल 114 में से केवल 90 सीटों पर होंगे चुनाव

चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद जम्मू-कश्मीर राज्य विधानसभा चुनावों की घोषणा कर दी है। इस घोषणा के साथ ही जम्मू-कश्मीर में चुनाव के लिए 10 साल बाद सियासी माहौल गर्माने लगा है। विधानसभा के ये चुनाव वहां तीन चरणों में होंगे। ये चुनाव 18 सितंबर से 01 अक्टूबर तक होंगे। वोटिंग केवल 14 दिनों में हो जाएगी। हालांकि परिसीमन में राज्य में जितनी सीटें निर्धारित की गईं, उतने पर चुनाव नहीं होंगे। जम्मू-कश्मीर में कुल 114 विधानसभा सीटें हैं लेकिन राज्य में विधानसभा सीटों के डिलीमिटेशन के बाद चुनाव केवल 90 सीटों पर ही होंगे। 
ये 24 सीटें पीओके यानि पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में राजनीतिक और प्रशासनिक परिवर्तनों के कारण इनमें से केवल 90 सीटों के लिए चुनाव होना तय है। 114 सीटों में 24 सीटें पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर के क्षेत्रों के लिए आरक्षित हैं, जिसका अर्थ है कि उन पर चुनाव नहीं लड़ा जा सकता है। इसलिए, चुनाव के लिए उपलब्ध सीटों की प्रभावी संख्या 90 है। जम्मू संभाग में 43 और कश्मीर संभाग में 47। राज्य का विशेष दर्जा खत्म होने के बाद यहां पहली बार विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं। राज्य में पिछले विधानसभा चुनाव नवंबर-दिसंबर 2014 में हुए थे यानि दस साल पहले। 
चुनाव के बाद, जम्मू और कश्मीर पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी और भारतीय जनता पार्टी के गठबंधन ने राज्य सरकार बनाई, जिसमें मुफ्ती मोहम्मद सईद मुख्यमंत्री बने। मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद का 7 जनवरी 2016 को निधन हो गया। फिर राज्यपाल शासन कम समय के लिए लगा। फिर महबूबा मुफ्ती ने वहां मुख्यमंत्रेी पद के लिए रूप में शपथ ली। जून 2018 में भाजपा ने पीडीपी के नेतृत्व वाली सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया। इसके बाद जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल शासन लागू हो गया। नवंबर 2018 में, जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल सत्य पाल मलिक ने राज्य विधानसभा भंग कर दी। 20 दिसंबर 2018 को राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया।

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