पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर तैनात शीर्ष सैन्य अधिकारी क्षेत्र में तैयारियों को और मजबूत करने के लिए परिचालन संबंधी चर्चा कर रहे हैं। यह बैठक गलवान घाटी संघर्ष की तीसरी वर्षगांठ पर आयोजित की जा रही है। 15 जून की रात को हुई झड़प में भारत ने चीनी सेना को भारी नुकसान पहुंचाते हुए अपने 20 सैनिकों को भी खो दिया था। कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल उपेंद्र द्विवेदी, 14 कॉर्प्स कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल रशीम बाली और वन स्ट्राइक कॉर्प्स कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल संजय मित्रा के साथ वहां तैनात अन्य फॉर्मेशन भी हैं। बैठक में चीन की सीमा से लगे सेक्टर में फोर्स की तैयारियों पर चर्चा होगी।
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चीनी सेना के 50,000 से अधिक सैनिकों की तैनाती
उत्तरी सेना कमान लद्दाख क्षेत्र का प्रभारी है और उसे मथुरा में मुख्यालय वाली वन स्ट्राइक कोर के रूप में एक नया गठन प्रदान किया गया है, जिसके तत्व देश के उत्तरी भागों में फैले हुए हैं। पूर्वी लद्दाख सेक्टर में अप्रैल-मई 2020 के चीनी आक्रमण के बाद सेना का पुनर्गठन सरकार और बलों द्वारा किया गया था। चीनी सेना के 50,000 से अधिक सैनिकों को 2020 के बाद से पूर्वी लद्दाख के विपरीत एलएसी पर तैनात किया गया है।
चीन को काउंटर करने के लिए नई संरचनाओं पर जोर
भारत ने चीनियों द्वारा भविष्य में किसी भी संभावित आक्रमण को रोकने के लिए और इस तरह के किसी भी कदम को रोकने के लिए क्षेत्र में कई नई संरचनाओं को तैनात किया है। क्षेत्र में बुनियादी ढांचे के विकास में भी तेजी आई है और पूर्वी लद्दाख में उमलिंग ला दर्रे पर दुनिया की सबसे ऊंची मोटर योग्य सड़क बनाई गई है। सड़क ने उन अग्रिम स्थानों पर कनेक्टिविटी को बढ़ावा देने में मदद की है जहां पिछले तीन वर्षों से भारतीय और चीनी सैनिक एक-दूसरे के विपरीत तैनात हैं।
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अब तक हो चुका है हाई लेवल मिलिट्री टॉक का 18 दौर
दोनों पक्षों के बीच हाई लेवल मिलिट्री टॉक का 18वां दौर 23 अप्रैल को हुआ था। जिसमें उन्होंने पूर्वी लद्दाख में लंबित मुद्दों का जल्द से जल्द परस्पर स्वीकार्य समाधान निकालने के लिए और काम करने तथा करीबी संपर्क में रहने पर सहमति जताई थी। भारत कहता रहा है कि चीन के साथ उसके संबंध तब तक सामान्य नहीं हो सकते जब तक सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति नहीं होती।