सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे ने बृहस्पतिवार को कहा कि म्यामां के सशस्त्र जातीय समूहों और सरकारी बलों के बीच लड़ाई से उत्पन्न स्थिति के मद्देनजर वहां के लगभग 416 सैनिक भारत में आ गए थे। उन्होंने कहा कि भारतीय सेना घटनाक्रम पर “बारीकी से नजर” रख रही है।
पिछले साल नवंबर से भारत की सीमा के पास कई प्रमुख कस्बों और क्षेत्रों में दोनों पक्षों के बीच शत्रुता में तेजी देखी गई, जिससे मणिपुर और मिजोरम की सुरक्षा पर संभावित प्रभाव को लेकर नयी दिल्ली में चिंताएं बढ़ गईं।
सेना दिवस से पहले एक संवाददाता सम्मेलन में, जनरल पांडे ने भारत-म्यामां सीमा के पास की स्थिति को “चिंताजनक” बताया और कहा कि कुछ विद्रोही समूह उस देश के सीमांत क्षेत्र में दबाव महसूस कर रहे हैं और मणिपुर में प्रवेश करने का प्रयास कर रहे हैं।
उन्होंने कहा, “भारत-म्यामां सीमा पर स्थिति पर हम करीबी नजर रख रहे हैं।”
अधिकारियों ने कहा कि म्यामां के सभी 416 सैन्य कर्मियों को वापस भेजा जा चुका है।
कथित तौर पर जुंटा (सैन्य सरकार) विरोधी समूहों ने भारत के साथ म्यामां की सीमा के पास कई प्रमुख शहरों, सैन्य ठिकानों पर नियंत्रण कर लिया है और अस्थिर स्थिति ने म्यामां के कई नागरिकों को मिजोरम में शरण लेने के लिए मजबूर किया है।
उन्होंने कहा, “वह (भारत-म्यामां सीमा पर स्थिति) हमारे लिए चिंता का विषय है। आप पिछले कुछ महीनों में म्यामां सेना और जातीय सशस्त्र संगठनों तथा पीडीएफ (पीपुल्स डिफेंस फोर्सेज) की गतिविधियों से अवगत हैं।”
जनरल पांडे ने कहा, “भारत-म्यामां सीमा पर स्थिति चिंताजनक है क्योंकि कुछ विद्रोही समूह भी हैं, जो दबाव महसूस कर रहे हैं और अब मणिपुर राज्य में सीमा के हमारी ओर आने का प्रयास कर रहे हैं।”
उन्होंने कहा, “मणिपुर की स्थिति के साथ मिलकर हम इस पर कड़ी नजर रख रहे हैं।”
जातीय हिंसा प्रभावित मणिपुर की स्थिति पर जनरल पांडे ने कहा कि सेना के जवानों की तैनाती का उद्देश्य नागरिक प्रशासन की मदद करना है।
उन्होंने कहा, “मैं कहूंगा कि उन्होंने (सैनिकों ने) बहुत संयम दिखाया है।”
सेना प्रमुख ने यह भी कहा कि राज्य में सुरक्षा बलों से लूटे गए 30 प्रतिशत हथियार बरामद कर लिए गए हैं।
उन्होंने बताया कि बाकी हथियारों की बरामदगी के प्रयास जारी हैं। थल सेनाध्यक्ष ने कहा कि भारत म्यामां से लगी सीमा पर बाड़बंदी को मजबूत करने पर भी विचार कर रहा है।
उन्होंने कहा, “हमने भारत-म्यामां सीमा पर अपनी स्थिति और तैनाती मजबूत कर ली है। हमारे पास असम राइफल्स की करीब 20 बटालियन हैं जो वहां तैनात हैं।