पंजाब में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (आप) ने राज्य में राष्ट्रपति शासन की सिफारिश करने की चेतावनी देने को लेकर राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित की शुक्रवार को आलोचना की और कहा कि ऐसा मणिपुर और हरियाणा में किया जाना चाहिए।
मुख्यमंत्री भगवंत मान द्वारा अपनी चिट्ठियों का जवाब नहीं दिए जाने से निराश होकर पुरोहित ने आज चेतावनी दी कि वह राज्य में ‘संवैधानिक तंत्र के विफल’ होने की रिपोर्ट राष्ट्रपति को भेज सकते हैं और फौजदारी प्रक्रिया भी शुरू कर सकते हैं।
पुरोहित ने मान को सलाह दी कि इससे पहले कि वह संविधान के अनुच्छेद 356 और भारतीय दंड संहिता की धारा 124 के तहत ‘अंतिम निर्णय लें’, मुख्यमंत्री उचित कदम उठाएं। पंजाब में आप के मुख्य प्रवक्ता मलविंदर सिंह कंग ने जोर दिया कि मान नीत सरकार संवैधानिक सीमाओं के भीतर काम कर रही है और भाजपा पर आरोप लगाया कि वह गैर-भाजपा शासित राज्यों की सरकारों के कामकाज में हस्तक्षेप करने का प्रयास कर रही है।
कंग ने कहा, ‘‘राज्यपाल को गरिमा बनाए रखनी चाहिए और अनुच्छेद 356 की धमकी नहीं देनी चाहिए। अगर वे राष्ट्रपति शासन लगाना चाहते हैं तो यह मणिपुर और हरियाणा में होना चाहिए।’’
मणिपुर में मई से ही जातीय हिंसा जारी है और हाल ही में हरियाणा के नूंह में भी हिंसक घटनाएं हुई हैं। दोनों राज्यों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सत्ता में है।
शिरोमणि अकाली दल (शिअद) ने आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल पर आरोप लगाया कि वह मान को राज्यपाल के साथ टकराव का रवैया अपनाने का निर्देश देकर पंजाब में जानबूझकर संवैधानिक संकट पैदा कर रहे हैं ताकि राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू होने की स्थिति में पार्टी स्वयं को पीड़ित बता सके। शिअद के वरिष्ठ नेता दलजीत सिहं चीमा ने यहां एक बयान में कहा, ‘‘दिल्ली सेवा अधिनियम मामले में स्वयं को पीड़ित के रूप में पेश करने में आप की असफलता के बाद केजरीवाल पंजाब के मुख्यमंत्री को दिग्भ्रमित कर रहे हैं ताकि राज्य की सरकार के बर्खास्त होने पर राष्ट्रीय स्तर पर इसका राजनीतिक फायदा उठा सकें।’’
चीमा ने कहा, ‘‘ऐसा करके आम आदमी पार्टी पंजाबियों के जनादेश के साथ विश्वासघात कर रही है, और अगर वह (आप) इस तरह अपनी जिम्मेदारियों से भागती है तो वे (पंजाबी) इस पर कभी भरोसा नहीं करेंगे।’’
शिअद नेता ने जोर दिया कि राज्य में शासन ‘पूरी तरह ध्वस्त’ हो गया है। उन्होंने कहा कि लुधियाना के 66 शराब दुकानदारों के खिलाफ कार्रवाई रिपोर्ट सौंपने में सरकार की असफलता को राज्यपाल ने भी इंगित किया है।
उन्होंने कहा, ‘‘इसके अलावा, राज्यपाल ने पंजाब में मादक पदार्थों की व्यापक उपलब्धता और उपयोग के संबंध में विभिन्न एजेंसियों से प्राप्त रिपोर्ट का भी जिक्र किया है। इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री की चुप्पी दिखाती है कि आप की मादक पदार्थ तस्करों से सांठगांठ है और वह उन्हें संरक्षण प्रदान कर रही है।’’
सामान्य रूप से राज्यपाल द्वारा भेजी गई रिपोर्ट के आधार पर अनुच्छेद 356 के तहत राज्य को केन्द्र के शासन के तहत लाया जाता है यानी राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू किया जाता है।
भारतीय दंड संहिता की धारा 124 राष्ट्रपति या राज्यपाल को अपने कानूनी/संवैधानिक शक्तियों का उपयोग करने से गलत तरीके से रोकने से संबद्ध है।
पुरोहित ने लिखा है, ‘‘इसलिए मैं आपको सलाह देता हूं, चेतावनी देता हूं और आपको मेरे पत्रों का उत्तर देने तथा मांगी गई जानकारी उपलब्ध कराने को कहता हूं।’’
राज्यपाल ने मान को लिखे अपने पत्र में कहा है, ‘‘‘‘इससे पहले कि मैं अनुच्छेद 356 के तहत संवैधानिक तंत्र की विफलता पर भारत की राष्ट्रपति को रिपोर्ट भेजने और भारतीय दंड संहिता की धारा 124 के तहत फौजदारी प्रक्रिया शुरू करने का अंतिम फैसला करूं, मैं आपसे उपरोक्त पत्र में उल्लेखित पत्रों में मांगी गई सूचनाएं उपलब्ध कराने और राज्य में मादक पदार्थों की समस्या से निपटने के लिए आपके द्वारा उठाए गए कदमों की जानकारी मुहैया कराने को कहूंगा, ऐसा नहीं होने पर मेरे पास कानून और संविधान के अनुसार कार्रवाई करने के अलावा अन्य विकल्प नहीं होगा।’’राज्यपाल ने अपने ताजा पत्र में दावा किया कि उन्हें पंजाब में मादक पदार्थों की बड़े पैमाने पर उपलब्धता और उपयोग के संबंध में विभिन्न एजेंसियों से रिपोर्ट मिली है।
राज्यपाल ने मुख्यमंत्री द्वारा जून में पंजाब विधानसभा में उनके खिलाफ बोले गए ‘अपमानजनक शब्दों’’ का भी जिक्र किया।