उपचुनाव में जालंधर लोकसभा सीट कांग्रेस से छीनने के बाद आम आदमी पार्टी (आप) के हौसले जहां बुलंद हैं, वहीं दलितों के इस गढ़ में 1999 से जारी देश की सबसे पुरानी पार्टी का दबदबा खत्म हो गया है।
आप प्रत्याशी सुशील रिंकू ने कांग्रेस प्रत्याशी करमजीत कौर चौधरी को 58,691 मतों के अंतर से करारी शिकस्त दी।
उपचुनाव से पहले कांग्रेस छोड़ने के बाद आप में शामिल हुए रिंकू को चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार 3,02,279 वोट मिले, जबकि चौधरी को 2,43,588 वोट मिले।
संगरूर लोकसभा उपचुनाव में पिछले साल हार के बाद आप का कोई भी नेता लोकसभा में सदस्य नहीं था।
लेकिन इस बहुप्रतीक्षित जीत से आप के हौसले बुलंद हैं और इसने फिर से लोकसभा में खाता खोल लिया है।
जालंधर लोकसभा (सुरक्षित) सीट करमजीत कौर चौधरी के पति और कांग्रेस सांसद संतोख सिंह चौधरी के जनवरी में निधन के कारण रिक्त हुई थी।
कांग्रेस को वर्ष 1999 से इस सीट पर कभी हार का मुंह नहीं देखना पड़ा था, लेकिन इस बार पासा पलट गया।
कांग्रेस उम्मीदवार बलबीर सिंह ने 1999 में जालंधर सीट से जीत हासिल की थी, इसके बाद 2004 में राणा गुरजीत सिंह, 2009 में मोहिंदर सिंह केपी और 2014 और 2019 में संतोख चौधरी ने जीत दर्ज की थी।
उपचुनाव जीतने के लिए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने आक्रामक अभियान चलाया और जालंधर में रोड शो किया था।
केजरीवाल ने कहा था, ‘‘यदि वे (मतदाता) ‘आप’ के काम को पसंद नहीं करते, तो वह इसे वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव में वोट नहीं दें।’’
इस दौरान मान ने वोट हासिल करने के लिए मतदाताओं के समक्ष मुफ्त बिजली, नौकरी देने, संविदाकर्मियों को नियमित करने, मोहल्ला क्लिनिक खोलने और भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई करने समेत सरकार की कई उपलब्धियों का जिक्र किया था।
इस उपुचनाव को लेकर शिरोमणि अकाली दल ने भी पूरा जोर लगा दिया था जिसके टिकट पर सुखविंदर सिंह सुखी चुनाव लड़ रहे थे।
भाजपा ने अपने कई केंद्रीय मंत्रियों के साथ उपचुनाव में आक्रामक प्रचार किया, जिसमें हरदीप सिंह, अनुराग ठाकुर, जितेंद्र सिंह, अर्जुन राम मेघवाल शामिल थे। सुखविंदर तीसरे तो भाजपा के उम्मीदवार इंदर इकबाल सिंह अटवाल चौथे स्थान पर थे।