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मदुरै (तमिलनाडु) । प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने शनिवार को अधिवक्ताओं से जूनियर वकीलों के प्रति सामंती सोच त्यागने को कहा। उन्होंने कहा कि जूनियर वकीलों को कम पैसे देने से पेशे में आने का उनका उत्साह कम हो जाता है। मद्रास उच्च न्यायालय की मदुरै पीठ के 20वें स्थापना वर्ष समारोहों का उद्घाटन करने के बाद, प्रधान न्यायाधीश ने दिल्ली उच्च न्यायालय के लिए डेटा एवं सॉफ्टवेयर सामग्री के भंडार के रूप में कार्य करने में पीठ के योगदान की सराहना की।
वकालत के पेशे की शुरूआत कर रहे जूनियर वकीलों को बहुत कम वेतन दिये जाने का मुद्दा उठाते हुए न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा, ‘‘कृपया यह सामंती सोच त्याग दें कि वे सीखने, अवसर पाने, अनुभव प्राप्त करने के लिए आए हैं और आप उनका मार्गदर्शन कर रहे हैं।’’ उन्होंने कहा कि जूनियर वकीलों से बहुत कुछ सीखा जा सकता है। उन्होंने कहा कि जूनियर वकीलों को 5,000 रुपये प्रति माह जैसी कम राशि देने से वकालत के पेशे में आने का उनका उत्साह कम कर दिया जाता है।
प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि जूनियर वकील मौजूदा वास्तविकताओं के प्रति विशेष रूप से अधिक जागरूक हैं तथा उन्होंने कहा कि जूनियर वकीलों को ‘‘उनकी कड़ी मेहनत के अनुरूप सम्मानजनक राशि’’ प्रदान की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि विशेष रूप से पर्याप्त वेतन के बिना कड़ी मेहनत का यह अति-रुमानीकरण केवल बयानबाजी नहीं है, बल्कि इससे लोगों से कम आराम और कम मेहनताने के साथ लंबे समय तक काम करने की उम्मीद की जाती है।
पीठ की नवीनतम ‘‘उल्लेखनीय उपलब्धि’’ की सराहना करते हुए प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि दिल्ली उच्च न्यायालय ने अपने डेटा और सॉफ्टवेयर का नियमित रूप से रिकॉर्ड रखने के लिए इस वर्ष मदुरै पीठ में एक आपदा राहत केंद्र स्थापित किया है। प्रधान न्यायाधीश ने ‘विगेनटेनियल स्तूप’ का वीडियो कॉफ्रेंस के जरिये उद्घाटन किया। यहां तामुक्कम मैदान में आयोजित समारोहों में उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति बीआर गवई, न्यायमूर्ति सूर्यकांत, न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश, न्यायमूर्ति के वी विश्वनाथन और न्यायमूर्ति आर महादेवन भी शामिल हुए।