ऐसे समय में जब कांग्रेस कर्नाटक में बड़ी जीत के बाद जश्न के मूड में है, उसे अपनी राजस्थान इकाई में एक बड़ी समस्या का सामना करना पड़ रहा है। कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने सोमवार को राजस्थान में अपनी पार्टी की सरकार और उसके मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को भ्रष्टाचार के आरोपों पर 15 दिन का समय दिया, जिसमें विफल रहने पर उन्होंने राज्यव्यापी विरोध प्रदर्शन शुरू करने की धमकी दी। अब इसको लेकर कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी की तरफ से बयान सामने आया है और उन्होंने खुलकर राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत का समर्थन किया है।
इसे भी पढ़ें: Sachin Pilot के अल्टीमेटम पर भाजपा ने कहा, हमारे कंधे का इस्तेमाल कर लड़ रही कांग्रेस की A और B टीम
राजस्थान में पार्टी विधायक सचिन पायलट की ‘जन संघर्ष यात्रा’ पर कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने साफ शब्दों में कहा कि जो चाहे वो करने दो। कांग्रेस पार्टी हर चुनौती से निपटना जानती है। अशोक गहलोत सबसे सक्षम मुख्यमंत्रियों में से एक हैं। ऐसे में कांग्रेस नेता के इस बयान के बाद अब पायलट की तरफ से प्रतिक्रिया का इंतजार किया जा रहा है।
इसे भी पढ़ें: Karnataka CM चुनने की चुनौती से जूझ रही Congress के लिए Rajasthan में Sachin Pilot ने खड़ा किया नया संकट
वसुंधरा राजे के नेतृत्व वाली पिछली भाजपा सरकार के कथित भ्रष्टाचार के मामलों पर गहलोत सरकार की निष्क्रियता के विरोध में सचिन पायलट ने पांच दिवसीय “जन संघर्ष यात्रा” का नेतृत्व किया। सचिन पायलट की जन संघर्ष यात्रा उन्होंने 11 मई को शुरू की थी और 15 को समाप्त हुई। सचिन पायलट ने जयपुर में कहा कि अगर इस महीने के अंत तक हमारी मांगें नहीं मानी गईं तो मैं पूरे राज्य की जनता के साथ ‘आंदोलन’ करूंगा। उन्होंने कहा कि हमने अभी गांधीवादी तरीके से अनशन किया है, अगर भ्रष्टाचार के आरोपों पर कार्रवाई नहीं हुई तो हम पूरे राज्य में आंदोलन करेंगे। हम हर गांव, हर टोले में जाएंगे।
इसे भी पढ़ें: आज खत्म होगी सचिन पायलट की जन संघर्ष यात्रा, बोले- हमारी तमाम बातों को जनता ने स्वीकार किया
वहीं ममता के बयान पर अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि कर्नाटक के चुनाव से पहले ममता बनर्जी ने कभी कहा है कि भाजपा को हराने के लिए कांग्रेस को वोट दो? आज कांग्रेस की जीत के बाद ममता बनर्जी को लगने लगा कि बिना कांग्रेस बंगाल में उनका आगे बढ़ना मुश्किल है, क्योंकि बंगाल में कांग्रेस पार्टी की पकड़ बढ़ती जा रही है। जहां भी कोई क्षेत्रीय राजनीतिक दल मजबूत है वहां भाजपा नहीं लड़ सकती। जो दल किसी क्षेत्र विशेष में मजबूत हैं, उन्हें मिलकर लड़ना चाहिए।