असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने सोमवार को कहा कि विधानसभा एवं लोकसभा क्षेत्रों के परिसीमन के शीघ्र बाद राज्य सरकार प्रशासनिक पुनर्गठन कार्य शुरू करेगी।
उन्होंने कहा कि अंतिम परिसीमन रिपोर्ट के खिलाफ कुछ विरोध हो रहा है लेकिन लोगों को इसे हकीकत के तौर पर लेना ही होगा।
चुनाव आयोग ने 11 अगस्त को परिसीमा की अंतिम रिपोर्ट प्रकाशित की जिसमें असम में विधानसभा क्षेत्रों एवं लोकसभा क्षेत्रों की संख्या क्रमश: 126 एवं 14 बनाये रखी गयी है। लेकिन आयोग ने मसौदा अधिसूचना से भिन्न एक संसदीय क्षेत्र एवं 19 विधानसभा क्षेत्रों के नाम बदल दिये हैं।
चुनाव आयोग ने कहा है कि 19 विधानसभा क्षेत्र तथा दो लोकसभा क्षेत्र अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षित किये गये हैं जबकि नौ विधानसभा क्षेत्र एवं एक लोकसभा सीट अनूसूचित जातियों के लिए आरक्षित की गयी है।
शर्मा ने यहां एक कार्यक्रम में से इतर संवाददाताओं से कहा, ‘‘ चुनाव आयोग ने अंतिम रिपोर्ट दे दी है।दो-तीन दिन में भारत की राष्ट्रपति परिसीमन अधिसूचना जारी करेंगी।’’
उन्होंने कहा कि वह मंगलवार को स्वतंत्रता दिवस के अपने भाषण में परिसीमन के साथ आगे बढ़ने की राज्य सरकार की योजना के एक हिस्से का जिक्र करेंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘ सरकार को अब परिक्षेत्रों, प्रखंड पुनर्गठन पर निर्णय लेना है, उसे यह तय करना है कि पंचायतें कैसे काम काम करेंगी। प्रशासनिक सुधारों की जरूरत होगी तथा हमें दो महीने तक अहर्निश काम करना होगा।’’
अंतिम रिपोर्ट पर कुछ वर्गों द्वारा किये जा रहे विरोध पर शर्मा ने कहा, ‘‘ कुछ विरोध हो सकते हैं लेकिन लोगों को यह स्वीकार करना होगा कि परिसीमन अब एक हकीकत बन गया है।’’
विपक्षी राजनीतिक दलों ने अंतिम परिसीमन रिपोर्ट की आलोचना की है तथा इसे अपने राजनीतिक भविष्य को सुरक्षित रखने की सत्तारूढ़ भाजपा की चाल करार दिया है।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया है कि चुनाव आयोग राजनीतिक दलों, व्यक्तियों एवं अन्य संगठनों द्वारा उसके सामने रखी गयी आपत्तियों का समाधान करने में विफल रहा है।
शर्मा ने दावा किया कि अंतिम अधिसूचना में लोगों की मांग के अनुसार राज्य सरकार द्वारा दिये गये सुझावों में कुछ को स्वीकार किया गया है।
राज्य के सभी विधानसभा एवं लोकसभा क्षेत्र का पुनर्निधारण/ पुनर्रेखांकन 2001 की जनगणना के आधार पर किया गया है। पिछला परिसीमन 1976 में 1971 की जनगणना के आधार पर किया गया था।