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Prajatantra: Akbar Lone को मिली फटकार के बाद क्या कम होगा कश्मीर के नेताओं का पाकिस्तान प्रेम

सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) के नेता मोहम्मद अकबर लोन से भारतीय संविधान के प्रति अपनी निष्ठा की पुष्टि करने और भारत की संप्रभुता को मान्यता देने वाला एक हलफनामा दाखिल करने को कहा है। यह फैसला उन आरोपों के बाद आया है कि उन्होंने 2018 में जम्मू-कश्मीर विधानसभा में ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ का नारा लगाया था, जिससे विवाद खड़ा हो गया था। उच्चतम न्यायालय इस समय अनुच्छेद 370 हटाये जाने के फैसले के खिलाफ दायर की गयी याचिकाओं पर रोजाना आधार पर सुनवाई कर रहा है। इसी बीच यह मामला आया। बता दें कि मोहम्मद अकबर लोन, पूर्ववर्ती जम्मू-कश्मीर राज्य को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को निरस्त किए जाने के फैसले को चुनौती देने वाले प्रमुख याचिकाकर्ता हैं।
 

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नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा पार्टी सांसद मोहम्मद अकबर लोन को 2018 में पाकिस्तान समर्थक नारे लगाने के लिए हलफनामा दायर करने के लिए कहने पर प्रतिक्रिया व्यक्त की। उन्होंने कहा कि यह मुद्दा अब पांच साल बाद उठाया जा रहा है क्योंकि केंद्र सरकार अनुच्छेद 370 को हटाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई से चिंतित है। उन्होंने कहा कि अपने आप से पूछें कि 2018 में विधानसभा में कही गई बात 2023 में सुप्रीम कोर्ट में मुद्दा क्यों बन गई। वे प्रसिद्ध शब्द ‘आप क्रोनोलॉजी समझिए’। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर विधानसभा में जब अकबर लोन ने नारे लगाए तो स्पीकर भाजपा से थे और सवाल किया कि उस समय कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई। उमर अब्दुल्ला ने केंद्र सरकार पर सुनवाई से “मुद्दे को भटकाने की कोशिश” करने का आरोप लगाया।

इससे पहले 1 सितंबर को ‘रूट्स इन कश्मीर’ नाम के NGO ने सुप्रीम कोर्ट में मोहम्मद लोन पर कई आरोप लगाए हैं। साथ ही साथ यह भी दावा किया गया है कि लोन अलगाववादी ताकतों के समर्थक थे। दावा यह भी है कि लोन को जम्मू-कश्मीर में सक्रिय अलगाववादी ताकतों के समर्थक के रूप में जाना जाता है, जो पाकिस्तान का समर्थन करते हैं। रूट्स इन कश्मीर के मुताबिक 10 फरवरी, 2018 को, अकबर लोन ने जम्मू और कश्मीर विधानसभा में “पाकिस्तान जिंदाबाद” के नारे लगाए। 25 मार्च, 2019 को विधायक अकबर लोन ने कुपवाड़ा में एक सार्वजनिक बैठक में ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ के नारे लगाकर विवाद खड़ा कर दिया था। 07 मई, 2018 को लोन ने कहा था कि आतंकवादी भी हमारे भाइयों की तरह हैं। किसी आतंकवादी या नागरिक की हत्या की निंदा की जानी चाहिए।   

हालांकि, जम्मू-कश्मीर के कई नेताओं का पाकिस्तान प्रेम समय-समय पर दिख जाता है। चाहे पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती हो या फिर अन्य। वे लगातार पाकिस्तान से बातचीत करने की बात कहते रहते हैं। भले ही उधर से आतंक फैलाने की कोशिश हो रही हो। महबूबा मुफ्ती ने एक बार कहा था कि जब हम तालिबान से बात कर सकते हैं तो पाकिस्तान से क्यों नहीं? पाकिस्तान हमारा पड़ोसी है। जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने कहा था कि जब तक हमारे पाकिस्तान के साथ बेहतर संबंध नहीं होंगे तब तक भारत में हम कभी भी शांति नहीं देख पाएंगे। हाल में ही फारूक अब्दुल्ला ने संसद में कहा था कि हमें पाकिस्तानी मत कहिए, हम पर कब तक शक करेंगे। अपने भाषण के दौरान ही उन्होंने यह भी कहा था कि दम है तो पाकिस्तान से युद्ध कर दीजिए, हम आपको नहीं रोक रहे। मोहम्मद अकबर लोन को जिस तरीके से फटकार मिली, उसके बाद देखना होगा कि कश्मीर के कुछ नेताओं का पाक प्रेम कम होता है या नहीं। 

कश्मीर ने कई वर्षों तक तबाही के आलम देखे हैं। नेताओं और कुछ धर्म के ठेकेदारों ने वहां के युवाओं को बरगलाने का काम किया था। उन्हें भारत के खिलाफ भविष्य के लिए तैयार किया जा रहा था। इसका बड़ा कारण यह भी है कि वहां एक समुदाय की तादाद ज्यादा है। उन्हें भारत के खिलाफ बरगलाकर वोट बैंक की राजनीति करना आसान दिखता था। हालांकि अब परिस्थितियों में परिवर्तन दिख रहा है। भारत सरकार की कोशिश अब कश्मीर और कश्मीर के युवाओं को मेन स्ट्रीम से जोड़ने की है। सरकार का सभी योजनाओं का लाभ कश्मीरियों तक पहुंचे. इसे सुनिश्चित किया जा रहा है। कश्मीर के युवाओं के हाथों में पत्थर के बजाय लैपटॉप हो, इसकी की कोशिश जारी है। कश्मीर के हालात पूरी तरीके से बदल रहे हैं। इंफ्रास्ट्रक्चर का बहुत काम हो रहा है। सड़क, हवाई अड्डे और रेल यातायात को सुदृढ़ किया जा रहा है। ऐसे में पाकिस्तान के समर्थन वाली सोच रखने वाले नेताओं को करारा जवाब मिल रहा है और उनकी राजनीति को कुछ खास फायदा नहीं हो रहा। 
 

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एक तरफ भारत का अपना जम्मू कश्मीर है तो दूसरी ओर पाक अधिकृत कश्मीर है जिसे पाकिस्तान ने अवैध रूप से कब्जा कर रखा है। दोनों की स्थितियों में जमीन आसमान का अंतर है। पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में भूख और बदहाली का आलम दिखाई देता है तो वहीं भारत का कश्मीर जन्नत के समान है जहां लोगों को आर्थिक और शैक्षिक रूप से मजबूत बनाने की कोशिश हो रही है। जम्मू कश्मीर विकास के मार्ग पर लगातार बढ़े, हर देशवासी की चाहत है। जो लोग भी जम्मू-कश्मीर के बदहाली के जिम्मेदार हैं उन्हें जनता जवाब दे चुकी है। यही तो प्रजातंत्र है। 

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