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हिंडनबर्ग के बाद सोरोस समर्थित संगठन भारतीय कॉरपोरेट पर ‘बड़ा खुलासा’ करने की तैयारी में :सूत्र

ऐसा माना जा रहा है कि अमेरिकी वित्तीय शोध और निवेश कंपनी हिंडनबर्ग की अडाणी समूह पर गड़बड़ी के आरोप वाली रिपोर्ट के बाद एक अन्य संगठन देश के कुछ अन्य कॉरपारेट घरानों के बारे में ‘खुलासा’ करने की तैयारी में है।
सूत्रों के अनुसार, आर्गेनाइज्ड क्राइम एंड करप्शन रिपोर्टिंग प्रोजेक्ट (ओसीसीआरपी-संगठित अपराध और भ्रष्टाचार रिपोर्टिंग प्रोजेक्ट) देश के कुछ औद्योगिक घरानों के बारे में ‘कुछ खुलासा’ कर सकता है। इस संगठन को जॉर्ज सोरोस और रॉकफेलर ब्रदर्स फंड जैसी इकाइयां वित्तपोषित करती हैं।

मामले की जानकारी रखने वाले तीन सूत्रों ने कहा कि स्वयं को एक खोजी रिपोर्टिंग मंच कहने वाला ओसीसीआरपी औद्योगिक घराने के बारे में रिपोर्ट या लेखों की एक श्रृंखला प्रकाशित कर सकता है। इसका गठन यूरोप, अफ्रीका, एशिया और लातिनी अमेरिका में फैले 24 गैर-लाभकारी जांच केंद्रों ने किया है।
संगठन को ई-मेल भेजकर सवाल पूछे गये, लेकिन उनकी तरफ से फिलहाल कोई जवाब नहीं आया है।
वर्ष 2006 में स्थापित, ओसीसीआरपी संगठित अपराध पर रिपोर्टिंग में विशेषज्ञता का दावा करता है। वहमीडिया घरानों के साथ साझेदारी के जरिये रिपोर्ट, लेखों को प्रकाशित करता है।
संगठन की वेबसाइट के अनुसार, जॉर्ज सोरोस की इकाई… ओपन सोसायटी फाउंडेशन उसे अनुदान देती है।

 सोरोस दुनियाभर में बदलावकारी विचारों को आगे बढ़ाने के लिये वित्त उपलब्ध कराने में आगे रहे हैं। जिन अन्य संगठनों से उसे अनुदान मिलता है, उसमें फोर्ड फाउंडेशन, रॉकफेलर ब्रदर्स फंड और ओक फाउंडेशन शामिल हैं।
सूत्रों ने कहा कि खुलासे में संबंधित कॉरपोरेट घराने के शेयरों में निवेश करने वालों में विदेशी कोष के शामिल होने की बात हो सकती है।


कॉरपोरेट घराने की पहचान फिलहाल नहीं हो पाई है। लेकिन यह कहा जा रहा है कि एजेंसियां ​​पूंजी बाजार पर कड़ी निगरानी रख रही हैं।
हिंडनबर्ग रिसर्च की इस साल 24 जनवरी की रिपोर्ट में अडाणी समूह पर ऑडिट में धोखाधड़ी, शेयर मूल्य में गड़बड़ी करने और कर चोरों के पनाहगाह क्षेत्रों के अनुचित उपयोग का आरोप लगाया गया था। इससे समूह की कंपनियों के शेयरों में भारी गिरावट आई थी।
हालांकि अडाणी समूह ने सभी आरोपों को आधारहीन बताते हुए उसे सिरे से खारिज कर दिया था।

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