Breaking News

एसएफआई के विरोध प्रदर्शन के बाद केंद्र सरकार ने केरल के राज्यपाल को ‘जेड प्लस’ सुरक्षा दी

केरल में एक नाटकीय घटनाक्रम में शनिवार को राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान को ‘स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया’ (एसएफआई) कार्यकर्ताओं के विरोध का सामना करना पड़ा और इसके बाद राज्यपाल अपनी कार से उतर कर सड़क किनारे बैठ गये और मुख्यमंत्री पिनराई विजयन पर निशाना साधा।
इस बीच केंद्र सरकार ने राज्यपाल की सुरक्षा बढ़ाकर ‘जेड प्लस’ श्रेणी कर दी।
स्पष्ट रूप से नाराज दिख रहे खान ने मुख्यमंत्री विजयन पर ‘‘राज्य में अराजकता को बढ़ावा देने’’ का आरोप लगाया।
राज्यपाल खान कोल्लम जिले के निलामेल में शनिवार को उनके खिलाफ एसएफआई के कार्यकर्ताओं के प्रदर्शन करने पर अपने वाहन से बाहर निकले और प्रदर्शनकारियों की गिरफ्तारी की मांग को लेकर सड़क किनारे बैठ गए।

भाजपा ने जहां खान का समर्थन किया तो वहीं दूसरी ओर राज्य के सामान्य शिक्षा मंत्री वी शिवनकुट्टी ने कहा कि देश के किसी भी राज्य के राज्यपाल ने इस तरह का व्यवहार नहीं किया है।
कांग्रेस के नेतृत्व वाले विपक्षी संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चा (यूडीएफ) ने कहा कि यह सब राज्य सरकार और राज्यपाल के बीच जारी राजनीतिक नाटक का हिस्सा है।
विजयन पर ‘‘राज्य में अराजकता को बढ़ावा देने’’ का आरोप लगाते हुए, खान ने कहा, ‘‘राज्य के प्रमुख के रूप में, अराजकता बर्दाश्त नहीं की जाएगी’’।
राज्यपाल ने यह भी कहा कि उनके खिलाफ ‘‘हमले’’ वामपंथी सरकार की विफलताओं से ध्यान हटाने और (उनकी ओर से) कुछ कठोर कार्रवाई किये जाने के वास्ते उकसाने के लिए’’ किए जा रहे हैं।
राज्यपाल ने एसएफआई कार्यकर्ताओं को ‘‘गुंडा’’ और वामपंथी पार्टी के ‘‘दिहाड़ी मजदूर’’करार दिया।

उन्होंने कहा, ‘‘आप जाओ और काले झंडे दिखाओ, कार पर हमला करो, वापस आओ और अपना भुगतान ले लो।’’
दो घंटे से अधिक समय तक वहां बैठने के बाद, खान वहां से तभी गये जब पुलिस ने उन्हें मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) से संबद्ध एसएफआई के 17 कार्यकर्ताओं के खिलाफ गैर-जमानती प्रावधानों के तहत दर्ज प्राथमिकी की एक प्रति दिखाई।
राज्य की राजधानी तिरुवनंतपुरम से लगभग 40 किलोमीटर दूर स्थित कोल्लम के निलामेल में यह नाटकीय घटनाक्रम हुआ।
निलामेल में हुए घटनाक्रम से एक घंटे से भी कम समय में, केरल राजभवन ने घोषणा की कि गृह मंत्रालय ने खान को सीआरपीएफ कर्मियों वाली ‘जेड प्लस’ सुरक्षा दी है।
उनके कार्यालय ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा कि सीआरपीएफ कर्मियों वाली ‘जेड प्लस’ सुरक्षा खान और राजभवन को दी गई है।

पोस्ट में कहा गया है कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने केरल राजभवन को सूचित किया है कि राज्यपाल और राजभवन की सुरक्षा बढ़ाकर ‘जेड प्लस’ श्रेणी की कर दी गई है।
नीलामेल से रवाना होने से पहले पत्रकारों से बात करते हुए, राज्यपाल ने विजयन पर निशाना साधते हुए कहा कि मुख्यमंत्री ‘‘राज्य में अराजकता को बढ़ावा दे रहे हैं’’।
खान ने आरोप लगाया, ‘‘वह (विजयन ही) कानून तोड़ने वाले इन लोगों को संरक्षण देने का पुलिस को निर्देश दे रहे हैं जबकि संगठन (एसएफआई) की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष सहित इन लोगों के खिलाफ कई आपराधिक मामले अदालतों में लंबित हैं।’’
उन्होंने यह भी सवाल किया कि अगर मुख्यमंत्री उस रास्ते से गुजर रहे होते तो क्या प्रदर्शनकारियों को सड़क किनारे पुलिस के साथ खड़े होने की अनुमति दी जाती।

खान ने आरोप लगाया कि प्रदर्शनकारियों ने उनके वाहन को टक्कर मारने की कोशिश की।
उन्होंने यह भी पूछा कि अगर प्राथमिकी के अनुसार प्रदर्शनकारियों की संख्या केवल 17 थी तो पुलिस उन्हें हटाने में सक्षम क्यों नहीं थी, खासकर जब ड्यूटी पर बहुत अधिक पुलिसकर्मी तैनात थे।
राज्यपाल जब तिरुवनंतपुरम से एक कार्यक्रम में भाग लेने के लिए यहां कोट्टाराक्करा जा रहे थे, तभी उन्होंने निलामेल के निकट सड़क के किनारे एसएफआई प्रदर्शनकारियों को काले झंडे लहराते और बैनर पकड़े देखा, जिन पर लिखा था, ‘‘संघी कुलाधिपति वापस जाओ।’’
इससे नाराज खान ने अपना वाहन रोकने का आदेश दिया, वे बाहर निकले और एसएफआई कार्यकर्ताओं की ओर बढ़े। खान ने प्रदर्शनकारियों की ओर देखकर चिल्लाते हुए कहा, ‘‘आओ।’’

जैसे ही वह प्रदर्शनकारियों पर चिल्लाते हुए उनकी ओर बढ़े, वहां तैनात पुलिसकर्मी उनके और नारेबाजी कर रहे एसएफआई कार्यकर्ताओं के बीच आ गए।
पुलिस द्वारा प्रदर्शनकारियों को इलाके से हटाए जाने के बाद खान व्यस्त एमसी रोड पर एक दुकान से एक कुर्सी लेकर वहीं बैठ गए और उन्होंने प्रदर्शनकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की।
टीवी चैनलों पर प्रसारित वीडियो में गुस्से में दिख रहे खान को पुलिसकर्मियों से सख्त लहजे से बात करते देखा जा सकता है।
उन्हें अपने निजी स्टाफ से यह कहते हुए सुना गया कि पुलिस आयुक्त या उनके कार्यालय में उपस्थित किसी अधिकारी को उनके पास लाया जाए।
उन्हें यह कहते हुए सुना गया, ‘‘अन्यथा, प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) से बात की जाए।’’

जब वहां खड़े अधिकारियों ने उनसे अपनी यात्रा बहाल करने का अनुरोध किया, तो राज्यपाल ने इनकार कर दिया और कहा, ‘‘मैं नहीं जाऊंगा। आप (पुलिस) यहां उन्हें (प्रदर्शनकारियों को) सुरक्षा दे रहे थे।’’
खान ने कहा, ‘‘पुलिस वहां खड़ी थी और उन्हें सुरक्षा दे रही थी। मैं यहां से नहीं जाऊंगा। अगर पुलिस ही कानून तोड़ रही है, तो कौन कानून बरकरार रखेगा।’’
अपने अधिकारियों और पुलिस से घिरे राज्यपाल जब सड़क किनारे बनी दुकान पर बैठे थे, तब भी उन्हें ‘‘वापस भेजे जाने’’ की मांग करने वाले नारे सुने जा सकते थे।
बाद में जब संवाददाताओं ने खान से पूछा कि क्या उन्होंने विरोध प्रदर्शन किया था, तो उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है।
खान ने कहा, ‘‘यह कोई विरोध नहीं है। मुझे विरोध करने की जरूरत क्यों है? मैं विरोध क्यों करूंगा? मैं कार्रवाई कर सकता हूं। मैं प्राथमिकी की प्रति आने का इंतजार कर रहा था।’’

इस बीच, केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री (एमओएस) वी मुरलीधरन ने संवाददाताओं से कहा कि स्थिति ‘‘स्पष्ट रूप से इस बात का इशारा करती है’’ कि गृह विभाग और इसके प्रमुख विजयन अपने संवैधानिक कर्तव्यों का पालन करने में विफल रहे हैं।
मुरलीधरन ने कहा कि मुख्यमंत्री को यह एहसास होना चाहिए कि राज्यपाल को इस तरह के कदम रोक नहीं सकते।’’
उन्होंने कहा, ‘‘उन्हें (मुख्यमंत्री को) समझना चाहिए कि वह आग से खेल रहे हैं।’’
मुरलीधरन ने कहा कि अगर मीडिया विरोध स्थल पर मौजूद था, तो इसका मतलब है कि राज्य खुफिया विभाग को भी प्रदर्शन के बारे में पहले से जानकारी थी और इसलिए या तो एसएफआई कार्यकर्ताओं को पहले ही हटा दिया जाना चाहिए था या राज्यपाल का मार्ग बदल दिया जाना चाहिए था।

दूसरी ओर, राज्य के सामान्य शिक्षा मंत्री वी शिवनकुट्टी ने इस घटना को राज्यपाल का ‘‘चौथा शो’’ करार दिया।
उन्होंने कहा, ‘‘पहला शो तब हुआ जब वह तिरुवनंतपुरम हवाई अड्डे जाते समय उस समय अपने वाहन से बाहर निकले, जब एसएफआई कार्यकर्ताओं ने उनके खिलाफ काले झंडे लहराए। दूसरा शो वह था जिस तरह से उन्होंने विधानसभा में सरकार के पारंपरिक नीतिगत संबोधन का समापन किया। तीसरा शो, राज्य की राजधानी के सेंट्रल स्टेडियम में गणतंत्र दिवस समारोह के दौरान उनका आचरण था और यह चौथा शो है।’’

खान और वामपंथी सरकार के बीच राज्य के विश्वविद्यालयों के कामकाज और विधानसभा द्वारा पारित कुछ विधेयकों पर राज्यपाल के हस्ताक्षर न करने समेत कई मामलों को लेकर तनातनी की स्थिति है।
केरल में सत्तारूढ़ वाममोर्चा सरकार और खान के बीच जारी तनाव के बीच राज्यपाल ने एक अप्रत्याशित कदम उठाते हुए बृहस्पतिवार को विधानसभा में अपना अभिभाषण केवल अंतिम पैराग्राफ पढ़कर समाप्त कर दिया था और इस तरह उन्होंने सरकार से अपनी नाराजगी का संकेत दिया था।

Loading

Back
Messenger