तमिलनाडु में विपक्षी दल ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कषगम (अन्नाद्रमुक) ने शनिवार को मांग की कि राज्य में सत्तारूढ़ द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) फैक्टरी अधिनियम-1948 में किए गए एक संशोधन को वापस ले।
अन्नाद्रमुख ने दावा किया कि यह संशोधन “श्रमिक-विरोधी है, क्योंकि इसमें एक दिन में 12 घंटे काम करवाने का प्रावधान” है। पार्टी ने मुख्यमंत्री एम के स्टालिन से “जनविरोधी उपायों” को छोड़ने का आग्रह किया।
द्रमुक पर दोहरे मानदंड अपनाने का आरोप लगाते हुए अन्नाद्रमुक ने कहा कि विधानसभा में 21 अप्रैल को पारित किए गए संशोधन ने श्रमिकों के हितों को गहरा आघात पहुंचाया है।
अन्नाद्रमुक के महासचिव ए के पलानीस्वामी ने केंद्र की “व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्य स्थिति संहिता, 2020” की ओर इशारा करते हुए कहा कि राज्यों के लिए इसे लागू करना वैकल्पिक था।
संशोधन की “दिन में 12 घंटे काम करवाने वाले श्रम-विरोधी कानून” के रूप में निंदा करते हुए पलानीस्वामी ने कहा कि सरकार को इसे तुरंत वापस लेना चाहिए।
उन्होंने कहा कि यदि ऐसा नहीं किया गया, तो उनकी पार्टी श्रमिकों के कल्याण को ध्यान में रखते हुए इसे बाधित करने के लिए सभी कदम उठाएगी।
तमिलनाडु के श्रम कल्याण मंत्री सी वी गणेशन ने शुक्रवार को फैक्टरी अधिनियम, 1948 में संशोधन संबंधी विधेयक पेश करते हुए कहा था कि राज्य प्रमुख विनिर्माण कंपनियों का केंद्र है और देश में सर्वाधिक कारखाने और औद्योगिक श्रमिक भी तमिलनाडु में हैं।
गणेशन ने कहा, “काम के घंटों में सुधार के लिए राज्य सरकार को कई उद्योगों और उद्योग संघों से अभ्यावेदन प्राप्त हुए थे, जिनमें श्रमिकों, विशेष रूप से महिला कर्मचारियों और उद्योगों एवं अर्थव्यवस्था को मिलने वाले लाभों का हवाला देते हुए काम के घंटों को लचीला बनाने का प्रावधान करने की मांग की गई थी।”
उद्योग मंत्री थंगम थेनारासु ने आश्वासन दिया है कि कर्मचारियों के लिए सप्ताह में काम के कुल घंटों में कोई बदलाव नहीं होगा और उनके पास अब सप्ताह में चार दिन काम करने और तीन दिन की छुट्टी लेने का विकल्प होगा।
उन्होंने दावा किया है, “इससे महिला कर्मियों को काफी फायदा होगा।