ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) ने रविवार को ठाणे के मुंब्रा में अपने दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन में कई प्रस्ताव पारित किए गए जिनमें मुस्लिमों और दलितों के खिलाफ हिंसा तथा भारत को ‘हिंदू राष्ट्र’ बनाने की संघ परिवार के कुछ नेताओं की मांग से संबंधित है।
एआईएमआईएम के अध्यक्ष और तेलंगाना से लोकसभा सदस्य असदुद्दीन ओवैसी ने सम्मेलन की अध्यक्षता की।
उन्होंने यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘एक प्रस्ताव मुसलमानों, अन्य अल्पसंख्यकों और दलितों पर बढ़ते हमलों की कड़ी निंदा करता है। गोरक्षा, धर्मांतरण और लव जिहाद आदि की आड़ में आतंकवाद का क्रमबद्ध अभियान चलाने वाले अवैध और अपराधी संगठनों पर प्रतिबंध की जिम्मेदारी केंद्र और राज्य सरकारों की है।’’
ओवैसी ने कहा कि उनकी पार्टी ने हिंदुत्व के नाम पर लोगों की पीट-पीटकर हत्या के शिकार लोगों के लिए मुआवजे की मांग की है।
अन्य प्रस्तावों में एक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्रियों से घृणा भाषणों के खिलाफ बोलने की मांग, और एक अन्य मुस्लिम समाज को सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़ा बताने वाले विभिन्न आयोगों की सिफारिश के आधार पर आरक्षण देने की मांग करता है।
हैदराबाद के लोकसभा सदस्य ने कहा, ‘‘दलित मुस्लिम और दलित इसाइयों को अनुसूचित जाति के रूप में वर्गीकृत किया जाना चाहिए और उन्हें लाभ मिलने चाहिए। केंद्र सरकार को 1952 के राष्ट्रपति आदेश में संशोधन कर एक असंवैधानिक धार्मिक वर्गीकरण हटाना चाहिए। हम समान नागरिक संहिता के भी विरुद्ध हैं।’’
पार्टी के दो दिवसीय सम्मेलन में पारित एक प्रस्ताव में विभिन्न राज्यों में ‘लव जिहाद’ करके शादी करने समेत विभिन्न तरीकों से धर्मांतरण पर रोकथाम के लिए कानून बनाने की निंदा की गयी है।
इसमें कहा गया, ‘‘एआईएमआईएम इस तरह के कानूनों को वापस लेने की मांग करती है जिनमें धार्मिक विद्वानों (शादी कराने वाले) और अंतरधार्मिक जोड़ों को निशाना बनाया जाता है।’’
भारत को ‘हिंदू राष्ट्र’ घोषित करने की मांग वाले कुछ संघ परिवार के नेताओं के बयान की निंदा करते हुए एआईएमआईएम ने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार को उच्चतम न्यायालय में उपासना स्थल कानून का बचाव करना चाहिए।