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शरद पवार की आलोचना के बाद अजित को मंच छोड़कर चले जाना चाहिए था : अनिल देशमुख

महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री अनिल देशमुख ने शुक्रवार को कहा कि शिरडी में प्रधानमंत्री नरेन्द्र नोदी ने जब किसानों के लिये राकांपा प्रमुख शरद पवार के योगदान पर सवाल उठाया था तो प्रदेश के उपमुख्यमंत्री को विरोध में मंच छोड़ कर चले जाना चाहिए था अथवा उनकी बात को दुरुस्त करना चाहिए था।
देशमुख प्रधानमंत्री मोदी के बृहस्पतिवार के उस दौरे में किए गए संबोधन का जिक्र कर रहे थे, जहां उन्होंने शिरडी में प्रतिष्ठित साईंबाबा मंदिर में पूजा की, कई विकास परियोजनाओं का उद्घाटन किया और एक सार्वजनिक संबोधन दिया।
मोदी ने राकांपा प्रमुख शरद पवार का नाम लिए बिना कहा था, “किसानों के नाम पर वोट की राजनीति करने वालों ने आपको पानी की एक-एक बूंद के लिए तरसा दिया। महाराष्ट्र में कुछ लोगों ने किसानों के नाम पर सिर्फ राजनीति की। महाराष्ट्र के एक वरिष्ठ नेता ने देश के कृषि मंत्री के रूप में कार्य किया।

मैं व्यक्तिगत रूप से उनका सम्मान करता हूं, लेकिन उन्होंने किसानों के लिए क्या किया है?”
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) संस्थापक ने केंद्र में कांग्रेस के नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार (2004-14) के दौरान कृषि मंत्री के रूप में कार्य किया। मोदी ने कहा था कि जब पवार केंद्रीय कृषि मंत्री थे तो किसानों को बिचौलियों की दया पर निर्भर रहना पड़ता था।
राकांपा के पवार धड़े से ताल्लुक रखने वाले देशमुख ने नागपुर में संवाददाताओं से कहा कि मोदी ने जब उनके पार्टी संस्थापक के बारे में बयान दिया तो अजित पवार मंच पर मौजूद थे।

देशमुख ने कहा, “अजित दादा को (विरोध में) मंच छोड़ देना चाहिए था या प्रधानमंत्री मोदी की बात को दुरुस्त करना चाहिए था ताकि वह अपने बयान (शरद पवार के खिलाफ) को सही कर सकें।”
राकांपा नेता ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने अतीत में कृषक समुदाय के वास्ते योगदान के लिए शरद पवार की प्रशंसा की है। देशमुख ने आरोप लगाया कि मोदी ने अब चुनाव से पहले अपना रुख बदल लिया है और मांग की कि प्रधानमंत्री शरद पवार के संबंध में अपना बयान सुधारें।
राकांपा में दो जुलाई को विभाजन हो गया था और अजित पवार तथा आठ विधायक एकनाथ शिंदे की सरकार में शामिल हो गए थे।

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