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प्रधानमंत्री मोदी के निर्देश पर मणिपुर में शांति बहाल करने के हर संभव प्रयास किये जा रहे हैं

गृह मंत्री अमित शाह ने मणिपुर में मौजूदा स्थितियों पर चर्चा के लिए शनिवार को आयोजित सर्वदलीय बैठक में कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के निर्देश पर इस पूर्वोत्तर राज्य में शांति बहाल करने के लिए सभी प्रयास किए जा रहे हैं।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के मणिपुर प्रभारी संबित पात्रा ने पत्रकारों को बताया कि शाह ने बैठक में कहा कि राज्य में हिंसा शुरू होने के बाद से ‘‘एक भी दिन ऐसा नहीं बीता’’, जब उन्होंने स्थिति पर प्रधानमंत्री मोदी से बात नहीं की हो या प्रधानमंत्री ने निर्देश नहीं दिये हों।विपक्षी दल मणिपुर की स्थिति से निपटने के केंद्र के तरीके की आलोचना कर रहे हैं और उन्होंने इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री की ‘‘चुप्पी’’ पर सवाल उठाया है।
मणिपुर में मेइती और कुकी समुदाय के बीच तीन मई को भड़की हिंसा में अब तक लगभग 120 लोगों की मौत हो चुकी है और तीन हजार से अधिक लोग घायल हुए हैं।

 मेइती समुदाय को अनुसूचित जनजाति (एसटी) श्रेणी में शामिल करने की मांग का विरोध करने के लिए छात्रों के एक संगठन द्वारा तीन मई को आहूत ‘आदिवासी एकता मार्च’ में हिंसा भड़क गई थी।
पात्रा ने कहा, ‘‘बैठक में अपने बयान में अमित शाह जी ने स्पष्ट रूप से कहा कि तीन मई को हिंसा शुरू होने के बाद से एक भी दिन ऐसा नहीं गुजरा, जब उन्होंने प्रधानमंत्री से बात न की हो।’’
उन्होंने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री के निर्देश पर राज्य में शांति बहाली के हरसंभव प्रयास किये जा रहे हैं।’’
भाजपा नेता ने कहा कि राज्य में शांति बनाए रखने के प्रयास जारी हैं।
उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘‘हमारे लिए अच्छी खबर यह है कि 13 जून के बाद से किसी की जान नहीं गई है।

राज्य में शांति कायम रखने के प्रयास जारी हैं।’’
पात्रा ने कहा कि बैठक में गृह मंत्रालय ने एक प्रस्तुतीकरण के जरिये बताया कि मणिपुर में हिंसा कैसे शुरू हुई, हिंसा किस कारण से हुई, अब तक क्या कदम उठाए गए हैं और राज्य में शांति बहाल करने के लिए क्या कदम उठाए जाएंगे।
उन्होंने कहा कि गृह मंत्री की अध्यक्षता में हुई बैठक में मौजूद सभी पार्टी के नेताओं ने अपनी चिंताएं व्यक्त कीं और ‘‘बहुत संवेदनशील तरीके से’’ अपने विचार व्यक्त किए।
बैठक में मौजूद रहे पात्रा ने कहा, ‘‘सभी राजनीतिक दलों ने सर्वसम्मति से स्वीकार किया कि गृह मंत्री शाह का मणिपुर में तीन दिन और तीन रात का प्रवास एक अभूतपूर्व कदम था, क्योंकि कहीं न कहीं, इससे सकारात्मकता की भावना आई और मणिपुर आगे बढ़ा।

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