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नई दिल्ली। महाराष्ट्र राज्य के 846 पाठशालाओं का व्यापक विकास कराने वाली पीएम श्री योजना को लागू करने का फैसला मंगलवार को मुंबई में हुई कैबिनेट की बैठक में लिया गया। बैठक की अध्यक्षता मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने की। पहले चरण में, देश भर में 15,000 से अधिक स्कूलों को उच्च गुणवत्ता वाली गुणात्मक शिक्षा प्रदान करने वाले सर्वश्रेष्ठ स्कूलों के रूप में विकसित किया जाएगा और इसमें राज्य के 846 स्कूलो का समावेश होगा।
राज्य सरकार ने पीएम श्री योजना में सहभागी होने हेतू के लिए केंद्र के साथ समझौता करार किया है। इस समझौते के अनुसार राज्य में राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 लागू की जाएगी। पीएम श्री योजना में केंद्र की 60 फीसदी हिस्सेदारी होगी। प्रत्येक स्कूल को 5 वर्ष के लिए 1 करोड़ 88 लाख की राशि प्रदान की जाएगी। इन स्कूलों के लिए 5 साल के लिए केंद्र का हिस्सा 955 करोड़ 98 लाख और राज्य का 40 प्रतिशत हिस्सा यानि की 634 करोड़ 50 लाख यानी 75 लाख प्रति स्कूल रहने का अनुमान है। इस योजना के दूसरे चरण में पीएम श्री स्कूलों का चयन 408 समूहों, 28 नगर निगमों और 383 नगर पालिकाओं और नगर परिषदों में से किया जाएगा।
इन स्कूलों के माध्यम से प्रायोगिक शिक्षा प्रदान की जाएगी। छात्रों का मूल्यांकन उनकी वैचारिक समझ और वास्तविक जीवन स्थितियों और उपयुक्तता में ज्ञान के अनुप्रयोग के आधार पर किया जाएगा। इन स्कूलों में पूर्व छात्रों को भी शामिल किया जाएगा ताकि छात्रों को कैरियर मार्गदर्शन और शैक्षिक सहायता प्रदान की जा सके। यदि छात्र किन्हीं कारणों से स्कूल छोड़ देते हैं तो ऐसे बच्चों को पुनः प्रवेश देकर मुख्य धारा से जोड़ा जाएगा।
इन विद्यालयों का विकास मुख्य रूप से निम्नलिखित 6 प्रमुख स्तंभों पर किया जाएगा। पाठ्यक्रम, शिक्षाशास्त्र और मूल्यांकन; प्रवेश और बुनियादी सुविधा; मानव संसाधन और स्कूल नेतृत्व; समावेशी व्यवहार, प्रबंधन, निगरानी और प्रशासन; लाभार्थी संतुष्टि।
योजना का क्रियान्वयन राज्य स्तर पर स्कूल शिक्षा मंत्री की अध्यक्षता वाली समिति, जिला स्तर पर मुख्य कार्यपालन अधिकारी की अध्यक्षता वाली समिति तथा नगर निगम स्तर पर नगर आयुक्त की अध्यक्षता वाली समिति के माध्यम से किया जायेगा. राज्य परियोजना निदेशक राज्य कार्यान्वयन समिति के अध्यक्ष होंगे।