इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश के मथुरा में कृष्ण जन्मभूमि मंदिर परिसर से सटे शाही ईदगाह मस्जिद में सर्वेक्षण कराने पर सोमवार को अपना आदेश सुरक्षित रख लिया। मुस्लिम पक्ष की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दाखिल होने का हवाला दिए जाने की दलील दी गई। हाई कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया। अब कोर्ट की तरफ से इस मामले में अपना फैसला सुनाया जाएगा, जिस पर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं। हाईकोर्ट के मस्जिद परिसर के एएसआई सर्वे और इस सर्वे के लिए एडवोकेट कमिश्नर नियुक्त किए जाने की संभावना जताई जा रही थी। इसके साथ ही विवादित परिसर के सर्वे की प्रक्रिया क्या होगी, सर्वे कब तक शुरू किया जाएगा इस पर भी कोर्ट के निर्णय की बात कही जा रही थी।
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इससे पहले 15 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष के उस मौखिक अनुरोध पर विचार करने से शुक्रवार को इनकार कर दिया जिसमें मथुरा में कृष्ण जन्मभूमि से सटे शाही ईदगाह मस्जिद के परिसर का सर्वेक्षण कराने के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले पर रोक लगाने का आग्रह किया गया था। न्यायालय ने हालांकि उनसे संबंधित फैसले को अपील के माध्यम से चुनौती देने को कहा।
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इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने मथुरा में श्री कृष्ण जन्मभूमि मंदिर से सटी शाही ईदगाह मस्जिद के परिसर का सर्वेक्षण करने के लिए अदालत की निगरानी में अधिवक्ता आयुक्त नियुक्त करने की मांग करने वाली याचिका बृहस्पतिवार को स्वीकार कर ली। न्यायमूर्ति मयंक कुमार जैन ने याचिका स्वीकार करते हुए कहा कि आयोग गठित करने के लिए वादी की याचिका स्वीकार की जाती है। जहां तक इस आयोग के तौर तरीकों और प्रारूप का संबंध है, इस अदालत को यह उचित प्रतीत होता है कि इस उद्देश्य के लिए पक्षकारों के वकीलों को सुना जाए।