राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत बुधवार को अमित मालवीय-सचिन पायलट ट्विटर (जिसे अब एक्स के रूप में जाना जाता है) की लड़ाई में शामिल हो गए। यह भाजपा आईटी सेल प्रमुख मालवीय द्वारा दावा किए जाने के बाद शुरू हुई थी कि राजेश पायलट ने 1966 में मिजोरम में बम गिराए थे और इसके बाद सचिन पायलट ने उनकी तथ्य-जांच की थी। जुबानी जंग जारी रही और अब मालवीय ने गहलोत पर निशाना साधा, क्योंकि मालवीय ने गहलोत से पूछा कि अगर वह राजेश पायलट का सम्मान करते हैं, तो वह अपने बेटे सचिन पायलट का सम्मान क्यों नहीं करते। दरअसल, पायलट-मालवीय की ट्वीटर वार में गहलोत ने सचिन का साथ दिया।
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यह शायद वर्षों बाद ऐसा पहला मौका होगा जब गहलोत ने पायलट का साथ दिया हो। हमने देखा है कि कैसे अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच मनमुटाव की स्थिति गलातार बनी रहती है। यही कारण है कि भाजपा को गहलोत पर निशाना साधने का बड़ा मौका मिल गया। अमित मालवीय ने ट्वीट कर कहा कि चलिए, आपको राजेश पायलट जी के सम्मान की चिंता तो हुई! लेकिन अगर आप सच में उनके प्रति श्रद्धा का भाव रखते तो उनके बेटे सचिन पायलट को अपने मंत्रिमंडल से बेइज्जत करके बर्खास्त नहीं करते। और सार्वजनिक रूप से उनके लिए अमर्यादित निकम्मा-नकारा-कोरोना-ग़द्दार जैसे शब्दों का भी इस्तेमाल नहीं करते। हर बार जब आपने सचिन पायलट का अपमान किया, तब-तब क्या आपको राजेश पायलट जी के सम्मान की चिंता नहीं हुई?
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भाजपा नेता ने आगे कहा कि 1966 में मिज़ोरम में इंदिरा गांधी के आदेश पर भारतीय वायु सेना द्वारा किए गये हवाई हमले में राजेश पायलट और सुरेश कलमाड़ी के नाम 2011 में इंडियन एक्सप्रेस और टाइम्स ऑफ़ इंडिया जैसे प्रतिष्ठित अख़बारों में तत्कालीन असम विधानसभा की कार्यवाही में सांसद जीजी स्वेल और वरिष्ठ आईएएस अधिकारी डेंगहुआना का हवाला देते हुए प्रकाशित हुए थे। उसके बाद लगातार मीडिया में ये खबर आती रही। उस समय केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी और सचिन पायलट मंत्री थे लेकिन इस खबर का कभी खंडन नहीं किया गया! वैसे, राजस्थान से कांग्रेस के राज्यसभा सांसद रणदीप सुरजेवाला की महिलाओं और बेटियों के लिए इस्तेमाल की गई घटिया भाषा के बारे में आपको क्या कहना है?