केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह आज राज्यसभा में दो विधेयक – जम्मू और कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक, और जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2023 पर हुए चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि जवाहरलाल नेहरू कश्मीर को देखते थे और उन्होंने इसे बीच मझधार में ही छोड़ दिया। जवाहरलाल नेहरू ने माना था कि कश्मीर को लेकर उनसे गलती हुई है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि हमारी संवेदनाएं आतंकवादियों के लिए बिल्कुल नहीं है। उन्होंने दावा किया कि पत्थरबाजी करने वाले हाथों में अब लैपटॉप है। इसके साथ ही उन्होंने साफ तौर पर कहा कि पीओके हमेशा से भारत का है। उन्होंने कहा कि 1 इंच भी देश का जमीन हम जाने नहीं देंगे। कांग्रेस ने 40 साल तक गलतियां की है।
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अमित शाह ने इस बात पर भी जोर दिया कि जम्मू कश्मीर को राज्य का दर्जा मिलेगा। उन्होंने कहा कि आज सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद कांग्रेस पार्टी ने प्रेस की और कहा कि धारा 370 को गलत तरीके से हटाया गया है। देश की संसद की दोनों सदनों ने राष्ट्रपति के सीईओ को अनुमोदना दिया, कानून पारित हो गया, कानून नोटिफाइड हो गया, किसी ने सुप्रीम कोर्ट में कानून को चैलेंज किया, सुप्रीम कोर्ट ने इस पर बहस हुई, पांच जजों की बेंच बनी और आज इस पर फैसला भी आ गया। मगर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद ये (कांग्रेसी) कहते हैं कि हम इसको नहीं मानते हैं और हम मानते हैं कि धारा 370 को गलत तरीके से हटाया गया है। मैं इनको नहीं समझा सकता कि वास्तविकता क्या है।
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गृह मंत्री ने कहा कि कमजोर और वंचित वर्ग, ये जो नाम है ये किसी भी नागरिक की dignity को बहुत हर्ट करने वाले है। मैं आज जो दो बिल लेकर आया हूंं उसमें से पहले बिल में कमजोर और वंचित वर्ग की जगह अन्य पिछड़ा वर्ग ये नाम जोड़ने का फैसला लिया है। दूसरा बिल- जम्मू कश्मीर में 80 के दशक से आतंकवाद की शुरुआत हुई और 89 तक चरम सीमा तक पहुंचा। जिस कारण से कश्मीरी पंडित और सिख भाई घाटी छोड़कर पूरे देश में बिखर गए। सभी राज्यों ने कश्मीरियों को गले लगाया। जम्मू कश्मीर में वर्षों से अलग अलग जगहों से विस्थापित हुए कश्मीरी लोगों को सम्मान देने के लिए ये बिल लाया गया है। उन्होंने कहा कि जहां तक तंग नजरियों का सवाल है, देश की एक भी इंच जमीन का सवाल है, हमारा नजरिया तंग रहेगा, हम दिल बड़ा नहीं कर सकते। किसी को भी अपना बड़ा दिल दिखाने के लिए हमारी ज़मीन का एक हिस्सा देने का अधिकार नहीं है।
शाह ने कहा कि अभी कहा गया कि नेहरू जी के कारण कश्मीर यहां है। मैं आज कहना चाहता हूं जो आजादी के बाद भारत की रचना को जानते हैं उन्हें मालूम होगा। हैदराबाद में इससे बड़ी समस्या थी क्या नेहरू जी गए थे सुलझाने? जवाहर लाल नेहरू ने एक ही काम देखा था और उसे अधूरा छोड़कर आ गए। उन्होंने कहा कि सभी जानते हैं कि कश्मीर के विलय में इसलिए देरी हुई थी, क्योंकि शेख अब्दुल्ला को विशेष स्थान देने का आग्रह था और इस कारण विलय में देरी हुई और पाकिस्तान को आक्रमण करने का मौका मिला। जो लोग कहते हैं कि यह नेहरू के कारण है कि कश्मीर अभी भी हमारे पास है, उनके लिए व्यापक परिप्रेक्ष्य पर विचार करना आवश्यक है, जैसे कि हैदराबाद का मामला। नेहरू ने हैदराबाद, जूनागढ़, लक्षद्वीप या जोधपुर में हस्तक्षेप नहीं किया। उनका ध्यान सिर्फ कश्मीर पर था और वहां भी उन्होंने काम अधूरा छोड़ दिया।